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MP में कांग्रेस के “हार का इतिहास”- पांच साल में हुए 34 उपचुनाव, 24 में मिली पराजय, पढ़िए पूरी रिपोर्ट

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कांग्रेस (फाइल फोटो)

MP News: पिछले बीस सालों से सत्ता के रथ पर सवार भाजपा अधिकांश उपचुनावों में जीत दर्ज करती रही है. कांग्रेस को उपचुनावों में विजयश्री कम ही अवसरों पर मिली है. तीन सीटें विधायकों के निधन के कारण रिक्त थीं. इस तरह साल 2020 में सबसे ज्यादा 28 सीटों पर उपचुनाव हुए. मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी हालांकि उपचुनावों में तीसरी ताकत का भी कई सीटों पर बड़ा रोल रहा और इसकी वजह है कांग्रेस जीतते-जीते हार गई.

2018 से अब तक 34 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो चुके हैं, इनमें 24 सीटों पर जीत दर्ज कर भाजपा ने कांग्रेस को कमजोर किया है. इनमें से अधिकांश सीटें वे रही हैं जिन पर कांग्रेस काबिज थी पर उपचुनाव में वह हार गई. उपचुनाव में भाजपा को मिली विजय चौंकाने वाली नहीं है. राजनीति के जानकार इसी तरह के परिणाम की उम्मीद कर रहे थे. इस उपचुनाव में भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी थी तो सत्ता में होने के कारण उसका कार्यकर्ता भी उत्साह में था. 2018 से लेकर अब तक प्रदेश में 34 उपचुनाव हो चुके हैं और भाजपा इनमें हमेशा बढ़त बनाती रही है. सबसे ज्यादा 28 सीटों पर उपचुनाव 2020 में हुआ था जब कमलनाथ की पंद्रह महीने पुरानी सरकार को अल्पमत में आने के बाद इस्तीफा देना पड़ा था.

उपचुनाव की वजह – ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस से बीजेपी में हुए थे शामिल

कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उपेक्षा के चलते अपने 22 समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ दी थी. इसके बाद 22 सीटों पर उपचुनाव तय हो गए थे. इसके बाद तीन और विधायकों ने कांग्रेस थे. इनमें अधिकांश सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी. दिलचस्प यह था कि कांग्रेस से भाजपा में आने वाले कई विधायक उपचुनाव में पिछले चुनाव से भी अधिक मतों से जीते थे.

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कमलनाथ के गढ़ में आंचलकुंड का भी नहीं दिखा असर

अमरवाड़ा उपचुनाव परिणामों ने कांग्रेस को एक बार फिर मंथन पर विवश कर दिया है. इस सीट पर पिछले पांच दशक में अधिकांश बार कांग्रेस का ही कब्जा रहा है. कमलनाथ के प्रभाव वाली इस सीट पर कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए कमलेश शाह ने एक बार फिर जीत दर्ज की यह जीत छोटी है पर शाह ने लगातार चौथी बार जीत कर क्षेत्र में अपने प्रभाव का सिद्ध कर दिया है. अमरवाड़ा में कांग्रेस का थोक वोट बैंक माना जाता है. कांग्रेस ने तुरुप चाल चलते हुए आंचलकुंड धाम से जुड़े धीरन शाह को मैदान में उतारा था. उन्होंने शाह को जमकर टक्कर दी पर मजबूत प्रबंधन के चलते भाजपा ने इस सीट को कांग्रेस से छीन लिया. उपचुनाव के परिणामें से साफ है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का असर इस क्षेत्र में कम हो रहा है. एक महीने पहले ही उनके पुत्र कलनाथ को भी हार मिली थी.

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