MP News: विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिल पाने के बाद अब भाजपा के कई नेताओं की नजर प्रदेश के निगम-मंडलों पर है. इसके लिए कई नेता तो दिल्ली के फेरे ले रहे हैं तो कुछ इन दिनों प्रदेश कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा एवं संगठन महामंत्री हितानंद से मेल-मुलाकात करने में लगे हैं.
भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में संगठन नेताओं ने इस बात के संकेत दिए थे कि जिन नेताओं ने चुनाव में अच्छा काम किया है और पार्टी के हर फैसले के साथ रहे हैं. पार्टी उनका ध्यान रखेगी. इसके बाद से ही निगम मंडलों में पदों को लेकर नेताओं की आस जग गई है. इनमें अधिकांश वे नेता शामिल हैं जो विधानसभा चुनाव के समय किन्हीं कारणों से टिकट से वंचित कर दिए गए थे पर उन्होंने बगावती तेवर न अपनाते हुए पार्टी द्वारा तय प्रत्याशी के पक्ष में पूरे मन से काम किया. ऐसे वरिष्ठ नेता अब निगम-मंडलों एवं प्राधिकरण में पदासीन होना चाहते हैं। इन दिनों ऐसे कई नेता प्रदेश कार्यालय में चक्कर लगा कर माहौल भांप रहे हैं. प्रदेश के मुख्य निगम मंडल जिनमें मप्र गृह निर्माण मंडल, राज्य नागरिक आपूर्ति निगम, खनिज विकास निगम, वन विकास निगम, के अलावा भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, इंदौर, उज्जैन, रतलाम विकास प्राधिकरण के साथ ही बुंदेलखंड एवं विंध्य विकास प्राधिकरण एवं साडा में अपनी नियुक्ति के लिए प्रयासरत हैं.
शिवराज के करीबी में रेस में आगे
शिवराज सरकार ने विधानसभा चुनाव के कुछ महीने पहले ही जिन नेताओं को निगम-मंडल, प्राधिकरणों में पद दिए थे वे इस बार भी सक्रिय हो गए हैं. इन नेताओं का तर्क है कि उन्हें सालों तक समर्पित भाव से काम करने पर सरकार ने पद तो दिया पर वे इन पर साल भर भी नहीं रह पाए. वहीं दूसरी ओर पूर्व संभागीय संगठन मंत्री इस बार भी अपनी नियुक्ति चाहते हैं इसके पीछे उनका भी यही तर्क है कि पिछली बार उन्हें कम समय मिला था. इसलिए उन्हें फिर से नियुक्त किया जाए.
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जिन्हें कम समय मिला वे फिर सक्रिय
इनमें मप्र गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष रहे आशुतोष तिवारी, मप्र पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष रहे शैलेन्द्र बरूआ, मप्र खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष रहे जितेन्द्र लिटौरिया के अलावा विधानसभा चुनाव हारने वाली मप्र लघु उद्योग निगम की अध्यक्ष रही इमरती देवी, मप्र अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम की अध्यक्ष रही निर्मला बारेला जैसे नाम शामिल है.
दलबदल वाले नेता भी दौड़ में
लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस से भाजपा में आए कई नेता भी दौड़ में शामिल हैं. इनमें से कुछ पूर्व विधायक एवं सांसद भी हैं. जिन्हें भाजपा में शामिल तो कर लिया था लेकिन लोकसभा चुनाव में कोई जवाबदारी नहीं दी गई थी। वह भी अब अपनी किस्मत बदलने का इंतजार कर रहे हैं। कई ऐसे कांग्रेसी नेता हैं जो अपने क्षेत्र में अच्छी पकड़ रखते हैं और लोकसभा चुनाव में भाजपा को उन्होंने लाभ भी दिलाया है. इनमें छिंदवाड़ा के दीपक सक्सेना भी शामिल हैं वह भी किसी प्राधिकरण में बड़े पद पर आसीन होना चाहेंगे. पूर्व केन्द्रीय मंत्री रहे सुरेश पचौरी भी नई पारी शुरू करने के इंतजार में हैं. इसी तरह पाटन से पूर्व विधायक रहे नीलेश अवस्थी भी प्रयास में लगे हैं.