MP Politics: मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों की कार्यकर्ताओं की नजर 9 सीटों पर टिकी हुई है. खास बात है कि मौजूदा राज्यसभा सांसद विधायक भी चुनाव लड़ रहे हैं. साथ ही कांग्रेस के सीनियर नेताओं की भी साख दाव पर है. हालांकि विदिशा लोकसभा सीट को लेकर भाजपा के कार्यकर्ता पूरे भरोसे के साथ जीतने की उम्मीद कर रहे हैं और यहीं पर सबसे ज्यादा मार्जिन से बीजेपी के प्रत्याशी जीतेंगे. क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान ही नारा 10 लाख पार का दिया गया था. इसके लिए भाजपा के दो पूर्व मंत्री, सांसद सहित स्थानीय कार्यकर्ता भी एक साथ जुट गए थे. चुनाव के बाद 9 सीटों पर सबसे ज्यादा फीडबैक भी कांग्रेस और बीजेपी कार्यकर्ताओं से ले रही है. कौन सी वह सीटें हैं. जिन पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही डाल चुनाव नतीजे से पहले टेंशन में हैं.
मध्य प्रदेश के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर भाजपा के दिग्गज नेताओं ने चुनावी प्रचार किया था. वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रियंका और राहुल गांधी ने ताकत लगाई थी. सबसे ज्यादा चर्चा छिंदवाड़ा, मुरैना, ग्वालियर, भिंड, रतलाम, राजगढ़, सीधी, मंडला, सतना, गुना, झाबुआ और खरगोन सीटों के चुनाव चीजों को लेकर हो रही है. बीजेपी की सबसे ज्यादा नजर और चुनाव के दौरान कोशिश छिंदवाड़ा सीट जीतने को लेकर की गई. यहां पर कमलनाथ खुद अपने बेटे को चुनाव जीतने के लिए मोर्चा संभाला था. बीजेपी कितनी छिंदवाड़ा सीट जीतने के लिए सफल हो पाती है. चुनाव नतीजे के बाद स्पष्ट हो जाएगा. वहीं कांग्रेस मुरैना लोकसभा सीट से सतपाल सिंह सिकरवार, प्रवीण पाठक ग्वालियर फूल सिंह बरैया भिंड, दिग्विजय सिंह राजगढ़, मंडला ओमकार मरकाम, सीधी कमलेश्वर पटेल, रतलाम झाबुआ कांतिलाल भूरिया, सिद्धार्थ कुशवाहा सतना, रीवा से नीलम मिश्रा के जीतने की उम्मीद जाता रही है.
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बम से बीजेपी को कितना फायदा, कांग्रेस के नोटा से कितना नुकसान
इधर, भाजपा ग्वालियर और मुरैना के समीकरण को देखते हुए तनाव में जरूर है. क्योंकि दोनों ही कांग्रेस के दमदार प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा है. बीजेपी भी नजर बना कर रखी हुई है कि अक्षय बम को पार्टी में शामिल करने से फायदा मिलेगा या फिर नहीं. क्योंकि कांग्रेस ने प्रत्याशी नहीं होने के बाद जनता से नोटा पर वोट करने की अपील की है. आखिर नोटा कांग्रेस मिशन को कितना सफल बनाता है. साथ ही जनता कितना नोटा पर भरोसा जताती है यह भी पता चलेगा.
4 जून के बाद स्पष्ट होगा असली फीडबैक
हालांकि चुनाव के नतीजे के बाद स्पष्ट हो पाएगा कि कांग्रेस कितनी मजबूती से चुनाव लड़ी लोकसभा चुनाव में और मोदी का जादू सरदार रहा या फिर नहीं यह 4 जून के बाद स्पष्ट हो जाएगा लेकिन काउंटिंग तक 9 सीटों को लेकर जीत हार का समीकरण दोनों ही दल फीडबैक के जरिए पता लगाने में जुटे हुए हैं.