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MP विधानसभा में पेश होगा संशोधन विधेयक, गौवंश-गौमांस के मामलों में नहीं होगा न्यायालय का दखल, कलेक्टर कोर्ट में चलते रहेंगे कार्यवाही के मामले

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एमपी विधानसभा (फोटो- सोशल मीडिया)

MP News: मध्य प्रदेश में गौवंश और गौमांस के अवैध परिवहन और जब्ती के मामलों में आरोपियों को न्यायालय से राहत नहीं मिले, सरकार ने इसकी तैयारी कर ली है. सरकार मप्र गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियम, 2004 में संशोधन करने जा रही है. इस अधिनियम में संशोधन के बाद कलेक्टर कोर्ट में चल रहे गौवंश, गौमांस व वाहनों की जब्ती व अवैध परिवहन से संबंधित मामलों में न्यायालय हस्तक्षेप नहीं कर सकेगा.

गौवंश के मामलों में आपराधिक प्रकरण तो कोर्ट में ही चलेंगे, लेकिन गौवंश, गौमांस और वाहन की जब्ती और उनके अवैध परिवहन जैसे प्रकरणों में, जो कि कलेक्टर कोर्ट में चलते हैं, वह कलेक्टर कोर्ट में ही बिना न्यायालय दखल के चलेंगे. कलेक्टर कोर्ट के फैसले को पहले संभागायुक्त कोर्ट और फिर सेशन कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी. पशुपालन विभाग ने मप्र गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियम में संशोधन संबंधी प्रस्ताव तैयार कर लिया है. इस प्रस्ताव को विधि विभाग के साथ ही मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली सीनियर सेक्रेट्री कमेटी ने भी मंजूरी दे दी है. आने वाले दिनों में जल्द ही प्रस्ताव को कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा. कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद विधेयक को विधानसभा के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा.

कलेक्टर कोर्ट में चल रहे केस, आरोपियों को जुडिशल मजिस्ट्रेट से मिल जाती राहत

पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गौवंश व गौमांस की जब्ती व अवैध परिवहन के मामलों में सुनवाई कलेक्टर कोर्ट में होती है. कलेक्टर कोर्ट में सनवाई के दौरान कई आरोपी पहले ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट और फिर सेशन कोर्ट में चले जाते हैं. कई बार उन्हें कोर्ट से राहत मिल जाती है. ऐसे में कलेक्टर कोर्ट में चल रहे मामले स्वतः खत्म हो जाते हैं. सरकार ने अधिनियम में संशोधन कर यह प्रावधान है कि जब गौमांस, गौवंश के अवैध परिवहन व जब्ती के मामलों में कलेक्टर कोर्ट में सुनवाई चल रही होगी, तो डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के संज्ञान में लाया जाएगा कि वह इन मामलों में सुनवाई न करे. इस तरह ये मामले में न्यायालय की परिधि से बाहर रहेंगे और इनकी सुनवाई कलेक्टर कोर्ट में होगी और वही मामले में फैसला सुनाएगा. कलेक्टर कोर्ट के फैसले को पहले संभागायुक्त कोर्ट में और फिर सेशन कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी. अधिकारियों का कहना है कि गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियम में पहले भी एक बार संशोधन किया जा चुका है. अब इसे प्रभावी बनाने दसरी बार संशोधन किया जा रहा है.

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छह महीने में 500 से अधिक प्रकरण दर्ज – पीएचक्यू

मप्र गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियम के अंतर्गत प्रदेश में गौमांस एवं गौवंश के अवैध परिवहन पर प्रतिबंध लगा हुआ है. अधिनियम में गौमांस एवं गौवंश को परिभाषित करते हुए उनके वध एवं अवैध परिवहन पर रोक लगाई गई है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर पुलिस ने पिछले छह महीने में गौवंश का अवैध परिवहन करने के 500 से अधिक प्रकरण दर्ज किए हैं. साथ ही एक हजार से भी अधिक आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है।

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