MP News: नर्मदा में मिल रहे प्रदेश के 21 शहरों के 268 एमएलडी सीवेज से दो साल में छुटकारा मिल जाएगा. इसके लिए इन शहरों पर विशेष सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने और गंदे नालों में दूसरी तरफ डायवर्ट करने का काम किया जा रहा है. इस काम सरकार 1618.17 करोड़ रुपए खर्च कर रही है.
नर्मदा के किनारे बसे नगरों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के लिए सरकार ने एशियन डेवलपमेंट बैंक, विश्व बैंक, जर्मन बैंक केएफडब्ल्यू से 873.54 करोड़ रुपए लोन भी लिया है. दस शहरों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर तैयार हो गए हैं. अभी प्रायोगिक तौर पर इनका संचालन किया जा रहा है. इस राशि से निकायों में सीवेज लाइन और उसका नेटवर्क भी तैयार किया जाना है. अभी प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और एनजीटी नर्मदा में मिल रहे गंदे नालों की हर तीन माह में मॉनीटरिंग करता है. धर्मपुरी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पानी का सिंचाई में उपयोग सीवेज के ट्रीटमेंट वॉटर का उपयोग उद्यानिकी और फसलों की सिंचाई में किया जाएगा. निकाय इसका उपयोग शहरों की सफाई और पार्कों के पेड़ों में पानी डालने में करेंगे.
जबलपुर में 540 करोड़ खर्च
नर्मदा किनारे बसे सभी 21 शहरों में से सबसे ज्यादा राशि 540 करोड़ रुपए जबलपुर में खर्च होगी. यहां 29 एमएलडी सीवेज का ट्रीटमेंट हो रहा है और 51 एमएलडी क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्र बनकर तैयार हो गया है.
ये शहर नर्मदा के किनारे
अमरकंटक, डिंडोरी, मंडला, जबलपुर, भेंड़ाघाट, नरसिंहपुर, साईंखेड़ा, नर्मदापुरम, बुधनी, भैरूंदा, नेमावर, ओंकारेश्वर, बड़वाह, सनावद, मंडलेश्वर, महेश्वर, धामनोद, धरमपुरी, अंजड़, बड़वानी, और सेंधवा शामिल है.
गांवों के लिए भी प्लान
गांवों के भी गंदे नाले नर्मदा में रोकने के लिए प्लान तैयार किया जाएगा. इसके लिए गांवों के गंदे पानी को दूर ले जाकर एसटीपी के जरिए शुद्ध कर पानी को खेतों में छोड़ा जाएगा.
गंदगी की एक वजह ये भी
नर्मदा में गंदगी की एक वजह नर्मदा तटों पर बढ़ता अतिक्रमण भी है. ओंकारेश्वर, जबलपुर और नर्मदापुरम में नदी तटों पर लगातार अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है। जिनकी गंदगी नदी में समाती है. नर्मदा में सीवेज
छोड़े जाने पर 16 शहर के स्थानीय निकायों पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 79.44 करोड़ की पेनल्टी लगाई थी. इसमें सबसे अधिक नगर निगम जबलपुर पर 11.20 करोड़ की पेनल्टी लगी थी.
टाइम लाइन पर होगा काम
नर्मदा के किनारे बसे बुधनी, भेंड़ाघाट, धरमपुर में एसटीपी निर्माण का 100 फीसदी काम पूरा हो गया है, सीवेज वॉटर भी ट्रीट हो रहा है. शेष निकायों में एसटीपी के निर्माण के लिए ठेकेदार को टाइम लाइन दी गई है। दो साल में सभी शहरों में सीवेज वॉटर को ट्रीट करने का काम भी शुरू कर दिया जाएगा.