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MP News: एफडी फर्जीवाड़ा मामले में राज भवन ने तत्कालीन कुलपति का इस्तीफा किया स्वीकार, गुंजन गुप्ता को आरजीपीवी की नई जिम्मेदारी

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आरजीपीवी विश्वविद्यालय (फोटो - सोशल मीडिया)

भोपाल:  राजधानी की आरजीपीवी विश्वविद्यालय में हुए 19 करोड़ के एफडी फर्जीवाडे़ के मामले में तत्कालीन कुलपति का इस्तीफा राज भवन ने स्वीकार कर दिया है. राजभवन ने आरजीपीवी की जिम्मेदारी गुंजन गुप्ता को सौंप दी गई है. पिछले दिनों ही तत्कालीन कुलपति सुनील कुमार ने राजभवन पहुंचकर इस्तीफा सौंप दिया था, जिसे राजभवन ने मंजूरी कर लिया है. इस मामले में पुलिस ने भी तत्कालीन रजिस्ट्रार, कुलपति और वित्त नियंत्रक के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

हालांकि तकनीकी शिक्षा विभाग अभी भी पूरे मामले की जांच कर रहा है. जांच में कुछ अहम तथ्य भी सामने आए हैं. मामला सामने आने के बाद सुनील कुमार छुट्टी पर चले गए थे, बुधवार को अवकाश से लौटने के बाद राजभवन में इस्तीफा दिया है. बतौर कुलपति कुमार का दूसरा कार्यकाल रहा लेकिन फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद उन्होंने एक साल पहले ही इस्तीफा दिया है. सूत्रों का दावा है कि गुंजन गुप्ता को प्रभारी कुलपति बनाया है, कुलपति के तौर पर एस एस भदौरिया का नाम भी चर्चा में हैं. मगर राजभवन की सहमति के बाद भी अधिकारिक नियुक्ति होगी.

जांच में पूरे कार्यकाल के लेनदेन को किया शामि

आरजीपीवी में कुमार के पूरे कार्यकाल की जांच की जा रही है. माना जा रहा है कि 200 करोड़ रुपए से अधिक फर्जीवाड़ा पहुंच सकता है. क्योंकि 19 करोड़ रुपए की एफडी को निजी खाते में ट्रांसफर कराया गया. जिससे एफडी की रकम से ब्याज का फायदा लिया जा सके. कुलपति के कार्यकाल में 25-25 करोड़ रुपए की एफडी पहले भी निजी खातों में ट्रांसफर कराई जा चुकी है. यह तथ्य भी जांच में सामने आए. जिसके बाद सैलरी एकाउंट छोड़कर सभी खातों को फ्रीज कर दिया है.

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गिरफ्तारी के लिए जांच कर रही पुलिस

सीएम मोहन यादव के निर्देश पर पुलिस ने एफआईआर पहले ही दर्ज कर चुकी है. मंत्री इंदर सिंह परमार कह चुके कि शुद्धिकरण होगा लेकिन जांच का दायरा पुलिस ने अबतक नहीं बढ़ाया है. सभी फैक्ट्स देखने के बाद भी जांच का हवाला दिया जा रहा है, जबकि आरजीपीवी की ओर से पुलिस को जांच से जुड़े सभी दस्तावेज सौंप दिए हैं. पुलिस का कहना है कि तत्कालीन रजिस्ट्रार आरएस राजपूत, कंट्रोलर ऋषिकेष वर्मा, कुलपति सुनील कुमार, मयंक और सोहागपुर के दलित संघ को भी आरोपी बनाया गया है. फिलहाल सबूतों के आधार पर पुलिस गिरफ्तारी करने की बात कह रही है.

ईओडब्ल्यू भी कर सकती है जांच

अफसरों का कहना है कि पुलिस की जांच के बाद ईओडब्ल्यू को भी केस ट्रांसफर किया जा सकता है. ऐसे ही एक मामले में ईओडब्ल्यू ने विवि के कुलपति कुठियाला के खिलाफ भी जांच की थी. हालांकि जांच सिर्फ खानापूर्ति तक ही सीमित रह गई, कुठियाला के खिलाफ कोई ठोस सबूत जांच एजेंसी कोर्ट में पेश ही नहीं कर पाई, आरजीपीवी के मामले में भी धारा 53 के तहत कार्रवाई की जा सकती थी लेकिन विभाग कुलपति के जरिए ही इस्तीफे की पहल कराई, जबकि यह मामला उजागर होने के बाद राजभवन को एक्शन लेना चाहिए था

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