MP News: मध्य प्रदेश में अजीब गरीब करना में सरकारी विभागों में सामने आ रहे हैं. एक और ऐसा ही कारनामा मध्य प्रदेश के कर्मचारी चयन मंडल में सामने आया है. आने वाले दिनों में सरकारी नौकरी देने के लिए परीक्षा होनी है. इससे पहले कर्मचारी चयन मंडल ने परीक्षा कराने के लिए निजी कंपनी को टेंडर दिया है. खास बात है कि जिस निजी कंपनी को परीक्षा कराने की जिम्मेदारी दी है.
उसी के साथ उस पर निगरानी करने के लिए एक और निजी कंपनी को टेंडर दिया है. कर्मचारी चयन मंडल का यह कारनामा पूरे मध्य प्रदेश में सुर्खियों में है. ऐसे में कई बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर जब एक तरफ नीट और अन्य परीक्षाओं में लगातार गड़बड़ी और फर्जीवाड़े के मामले उजागर हो रहे हैं तो दूसरी तरफ कर्मचारी चयन मंडल निजी कंपनी से आखिर भर्ती क्यों करवा रही है. इससे पहले कृषि विस्तार अधिकारी, पटवारी परीक्षा सहित कई और परीक्षाओं में गड़बड़ी सामने आ चुकी है. यहां तक की 29000 पदों पर पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती परीक्षा से पहले ही पेपर लीक के मामले में पुलिस ग्वालियर से आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है.
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कई अहम पद खाली, पहले चरण मंडल में ही नियुक्ति की जरूरत
दरअसल कर्मचारी चयन मंडल में कई सारे अहम पद खाली हैं. सबसे पहले कर्मचारी चयन मंडल में खाली पदों को भरने की जरूरत है. इसके बाद ही दूसरी परीक्षाओं को कराया जाए. पूर्व अधिकारियों का कहना है कि जब कर्मचारी चयन मंडल दूसरी कंपनियों से भर्ती परीक्षा करवा रहा है और उसे पर निगरानी करने की जिम्मेदारी भी दूसरी कंपनी को दे रहा है तो आखिर कर्मचारी चयन मंडल में बैठे अध्यक्ष और सबसे ज्यादा अधिकारी क्या करेंगे.
विवादों में रहा कर्मचारी चयन मंडल, नाम बदला लेकिन दाग नहीं
मध्य प्रदेश में सरकारी विभागों में भर्ती करने वाली एजेंसी कर्मचारी चयन मंडल कोई नई नहीं है. इससे पहले प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड और व्यापम के जरिए भर्ती होती थी. परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर सिर्फ नाम बदल गया लेकिन दाग अभी लग रहे हैं. पिछले 10 12 सालों में सिर्फ कर्मचारी चयन मंडल का नाम बदलता रहा लेकिन विवाद अभी जारी है. कृषि विस्तार अधिकारी, मध्य प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा और पटवारी परीक्षा भी विवादों में रही.