MP News: मध्य प्रदेश में 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे आएंगे. 6 जून को चुनावी आचार संहिता हट जाएगी. इसके बाद मध्य प्रदेश में विकास कार्य की रफ्तार बढ़ जाएगी. शुरुआती 4 महीने के लिए 25 हजार करोड रुपए के टेंडर जारी किए जाएंगे. जिसमें सड़क बिजली और पानी के प्रोजेक्ट शामिल होंगे. प्रदेश भर में फोरलेन, सिक्स लेन और टू लेन सड़क बनाने के प्रस्ताव पर चर्चा विभागों ने शुरू कर दी है.
पीडब्ल्यूडी, पंचायत विकास, नगरीय प्रशासन, ग्रामीण विकास, लोक निर्माण विकास कार्यों के संबंध में मुख्य सचिव को रिपोर्ट सौंप दी है. जून में ही टेंडर जारी का वर्क आर्डर ठेकेदारों को दे दिया जाएगा. क्योंकि 15 जुलाई तक पैच वर्क सभी सड़कों पर करना पड़ेगा. इसके बाद बारिश का दौर शुरू हो जाएगा. बारिश से पहले ही सड़कों की मरम्मत और सुधार कार्य करने की चुनौती ठेकेदारों के सामने होगी. भुगतान के लिए सरकार बजट भी जुलाई में पेश करेगी. इससे सरकार के खजाने में फंड की कमी नहीं रहेगी. बिजली विभाग को मेंटेनेंस और सब्सिडी की रकम भी मिल जाएगी. फिलहाल बिजली कंपनियां बारिश से पहले मेंटेनेंस कर रही हैं. आचार संहिता लागू होने की वजह से नए प्रोजेक्ट्स पर अनुमति नहीं मिली लेकिन पहले से चल रहे प्रोजेक्ट का बजट फंड जारी कर दिया जाएगा.
ठेकेदारों के डिजिटल डॉक्यूमेंट ही होंगे टेंडर में मान्य
मध्य प्रदेश में विकास कार्य और टेंडर की प्रक्रिया में बदलाव करने की तैयारी सरकार कर रही है. अब नए सिरे से टेंडर डालने वाले ठेकेदारों को डिजिटल डॉक्यूमेंट ही देना पड़ेगा. हार्ड कॉपी अमान्य कर दी जाएगी. इसलिए टेंडर के वक्त ही उन्हें डिजिटल डॉक्यूमेंट देने होंगे. पिछले दिनों मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हाई पावर कमेटी ने फैसला लिया था. इसके बाद सभी विभागों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं. कोई भी विभाग की टेंडर में मैन्युअल डॉक्यूमेंट नहीं लेगा.
ये भी पढे़ं: विश्व दुग्ध दिवस पर सुफोडा ने लॉन्च किया नया ब्रांड ‘समूह’, MP के पूर्व CM शिवराज सिंह चौहान के बेटे हैं संस्थापक
हेरा फेरी की आशंका के चलते बदली प्रक्रिया
अक्सर ई टेंडर से जारी होने वाले वर्क आर्डर को लेकर शिकायतें मिलती रहती हैं. ई फॉरमैट में डॉक्यूमेंट देने से हेरा फेरी और गड़बड़ियों पर रोक लगा सकेगी. इसके साथ ही टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता भी बढ़ेगी. साथ ही डिजिटलाइजेशन के तहत इन व्यवस्थाओं को अपने से विभागों पर गड़बड़ी के आरोप भी नहीं लगेंगे. अब तक आरोप लगाते थे कि ऑनलाइन टेंडर भरने के बाद भी मैन्युअल डॉक्यूमेंट जमा करके खानापूर्ति कर ली जाती है. जिससे कई बार अपात्र ठेकेदारों को टेंडर मिल जाता है.
ई-टेंडरिंग के बाद भी मध्य प्रदेश में हुई भारी गड़बड़ी
गुड गवर्नेंस वाले मध्य प्रदेश में कई सालों पहले ई-टेंडिंग फर्जीवाड़ा सामने आया था. लोक निर्माण विभाग और पीएचई विभाग में हजारों करोड़ों रुपए के टेंडर जारी करने में गड़बड़ी सामने आई थी. जिसके बाद ईओडब्ल्यू और अन्य एजेंसियों ने भी जांच की फिर ई-टेंडरिंग की प्रक्रिया में कई बदलाव किए गए. कई अधिकारियों के नाम सामने आए लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. कोर्ट ने भी सबूत के अभाव में केस खारिज कर दिया लेकिन मध्य प्रदेश कि देशभर में बदनामी हुई. हालांकि कई बड़े अफसरों के खिलाफ एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट जरूर कार्रवाई कर रही है.