MP News: चुनावी व्यस्तता दूर होते ही प्रदेश के वे नेता संक्रिय हो गए हैं, जिनके विधानसभा और लोकसभा चुनाव में टिकट काट दिए गए थे. इन नेताओं को भविष्य में एडजस्ट करने का भरोसा दिलाया गया था, जिससे वे अब इसे पूरा करने प्रदेश संगठन और वरिष्ठ नेताओं के दरवाजे खटखटाने लगे हैं. गौरतलब है कि मध्यप्रदेश भाजपा ने विधायक और लोकसभा चुनाव के लिए अपने कई क्षेत्रों में नए चेहरे मैदान में उतारे थे.
विधानसभा में पार्टी ने 29 मौजूदा विधायकों के टिकट काटकर नए चेहरे उतारे थे, इनमें तीन तत्कालीन मंत्री भी थे. इसी तरह लोकसभा चुनाव में भी पार्टी ने मध्यप्रदेश के 14 मौजूदा सांसदों के टिकट काटकर उनके स्थान पर नए चेहरे खड़े किए थे. इन दोनों चुनाव में भाजपा का यह प्रयोग सफल रहा था और पार्टी विधानसभा में 163 तो लोकसभा की सभी 29 सीटों पर जीत हासिल हुई है. सूत्रों की मानें तो विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा का चुनाव, तब टिकट काटते वक्त कई तत्कालीन जनप्रतिनिधियों को पार्टी संगठन ने यह भरोसा दिया था कि आने वाले समय में उन्हें एडजस्ट कर उनके त्याग की भरपाई की जाएगी.
कई तत्कालिक सांसद और विधायकों के लिए तो पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने भरी जनता के सामने वायदा किया था कि उनकी अनदेखी नहीं की जाएगी और उन्हें सम्मान सहित बड़ी जिम्मेदारी देकर कहीं न कहीं एडजस्ट किया जाएगा. कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के पहले जिस तरह से सरकारी पद (निगम-मंडल, प्राधिकरण और आयोग) खाली कराए गए थे, उसके पीछे मंशा यही थी कि टिकट से वंचित और चुनावों में बेहतर काम करने वाले नेताओं को इन पदों पर बैठाया जाएगा, लेकिन अब पुनर्वास का इंतजार कर रहे पूर्व विधायक-सांसदों तक इस पर पहल नहीं हो सकी है. ऐसे में अपने का सर्वे टूटने लगा है और प्रारम्भिक तौर पर उनके शुरू कर दी है.
संगठन या फिर राज्यसभा में मिल सकती है जगह
भाजपा में अंदरखाने से जुड़े सूत्रों द्वारा संगठन के बड़े ओहदेदारों की मंशा टटोलना की मानें तो पार्टी कुछ बड़े ऐसे नामों को जल्द ही बड़ी जिम्मेदारी देकर उनके असंतोष को पनपने नहीं देंगे, जो बड़े नाम वाले है और उनका अपना जनाधार भी है, लेकिन किसी वजह से संगठन को उनकी टिकट काटनी पड़ी है. कहा जा रहा है कि इनमें से कुछ नेता तो निगम मंडल में नियुक्ति के लिए राजी नहीं होंगे. ऐसे में उन्हें प्रदेश या राष्ट्रीय संगठन में ही बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी. कुछ को भविष्य में राज्यसभा भेजने का भरोसा देकर इंतजार करने को कहा जाएगा.
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इन्हें है इंतजार
जयभान सिंह पवैया : शिवराज सरकार में वरिष्ठ मंत्री रहे जयभान सिंह पवैया को भी अपने चुनाव लड़ने के मामले पर समझौता करना पड़ा है. उन्हें वर्ष 2020 के उपचुनाव के बाद वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में भी टिकट नहीं दिया गया.
चौधरी मुकेश चतुर्वेदी : मेहगांव से विधायक रहे चौधरी मुकेश चतुर्वेदी का भी विधानसभा चुनाव के लिए वर्ष 2018 और 23 में टिकट काटा गया. उन्होंने बुंदेलखंड में बतौर संभागीय प्रभारी की भूमिका निभाई, जहां की 26 में 21 विधानसभा और चार लोकसभा में भाजपा को जीत हासिल हुई है.
केपी यादव : गुना संसदीय सीट से केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मैदान में उतारे जाने की वजह से तत्कालीन सांसद केपी यादव का टिकट काटा गया था, अब उन्हें उम्मीद है कि वे राज्यसभा जा सकते हैं. हालांकि यह फैसला पार्टी हाईकमान को लेना है.
चौधरी चन्द्रभान सिंह : उमा भारती सरकार में मंत्री रहे चौधरी चन्द्रभान सिंह भी टिकट की कतार में रहे, लेकिन उन्हें भी अब तक एडजस्ट नहीं किया जा सका.
इनको भी इंतजार
इधर मोहन कैबिनेट में जगह नहीं पाने वाले कुछ वरिष्ठ भाजपा विधायकों को भी संभावित विधायक पंडित गोपाल भार्गव, भूपेन्द्र ठाकुर, संजय पाठक को मंत्रिमण्डल विस्तार में मंत्री बनने की आस है. इनमें वरिष्ठ श्रीमती अर्चना चिटनिस, जयंत मलैया प्रमुख हैं.