MP News: मध्य प्रदेश में सीबीआई की जांच पर सरकार ने ब्रेक लगा दिया है. राज्य सरकार के गृह विभाग ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए सीबीआई की सीधी जांच पर रोक लगाने का फैसला किया है. राज्य सरकार की बिना अनुमति सीबीआई किसी भी सरकारी अधिकारी-कर्मचारी या फिर निजी व्यक्ति के खिलाफ एक्शन नहीं ले सकती है. सीबीआई को पहले मोहन सरकार से लिखित में अनुमति लेनी होगी.
इसके पहले राज्य सरकार ने लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू के लिए भी कई सालों पहले यही नियम लागू किया था. अब केंद्रीय जांच सीबीआई पर भी नियम लागू कर दिया गया है. खास बात है कि मध्य प्रदेश देश में पहला राज्य है, जहां बीजेपी की सरकार है और सीबीआई को मौजूदा सरकार से जांच के लिए अनुमति लेनी होगी. अभी तक पश्चिम बंगाल, केरल, पंजाब और तमिलनाडु पहले ही सीबीआई जांच की अनुमति को लेकर केंद्र सरकार का विरोध कर चुके हैं. पश्चिम बंगाल और केंद्र सरकार का मामला तो हाल ही में सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा था. अब मध्यप्रदेश सरकार का यह फैसला आया है. गृह विभाग के सेकेट्री और आईपीएस गौरव राजपूत का कहना है कि केंद्र सरकार की तरफ से पारित तीन नए आपराधिक कानूनों में से एक भारतीय न्याय संहिता के कार्यान्वयन के बाद नए कानूनी ढांचे का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक था. बदलावों का पालन करने के लिए अधिसूचना महत्वपूर्ण थी. विशेष रूप से सीबीआई को अब निजी व्यक्तियों, सरकारी अधिकारियों या राज्य के भीतर किसी भी संस्था की जांच करने के लिए मध्य प्रदेश प्रशासन से लिखित मंजूरी लेने की जरूरत पड़ेगी.
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नर्सिंग मामले में सीबीआई कर रही जांच
मध्य प्रदेश में नर्सिंग कालेजों को फर्जी तरीके से मान्यता देने के मामले में सीबीआई जांच कर रही है. सीबीआई की जांच हाईकोर्ट के निर्देश पर हो रही है. खास बात है कि नए नियम से हाईकोर्ट के आदेश पर चल रही जांच के साथ सीबीआई को कार्रवाई को लिए राज्य सरकार से लिखित में अनुमति लेनी होगी. यदि सरकार कार्रवाई के लिए अनुमति नहीं देती है तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ सीबीआई सीधे तौर पर एक्शन नहीं पे पाएगी.
इन नियम का हवाला देकर किया बदलाव
मध्य प्रदेश में गृह विभाग ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम की धारा 6 के अनुसार, सीबीआई को अपने अधिकार क्षेत्र में जांच करने के लिए राज्य सरकार से सहमति लेना आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट भी दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन (डीएसपीई) अधिनियम, 1946 के अनेक प्रावधानों का जिक्र करते हुए कह चुका है कि स्थापना, शक्तियों का प्रयोग, अधिकार क्षेत्र का विस्तार, डीएसपीई का नियंत्रण, सब कुछ भारत सरकार के पास है. इसी का हवाला देते हुए नियमों में बदलाव किया गया है.