Lok Sabha Election2024: मध्य प्रदेश में दल बादल की राजनीति का असर लोकसभा चुनाव के बाद दिखाई देगा. मध्य प्रदेश में तीन विधानसभा चुनाव में उपचुनाव के आसार बन गए हैं. कांग्रेस के तीन विधायकों ने पिछले 38 दिनों के अंदर पार्टी छोड़ दी है और बीजेपी में शामिल हो गए हैं. अमरवाड़ा से तीन बार के विधायक कमलेश शाह का इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष ने मंजूर कर लिया है. वही विजयपुर से छह बार के विधायक रामनिवास रावत ने भी इस्तीफा दे दिया है. बीते दिन पहली बार की विधायक बीना से निर्मल सप्रे ने भी कांग्रेस का दामन छोड़ दिया है. इन तीनों सीटों पर उपचुनाव लोकसभा चुनाव के बाद होंगे.
इसके अलावा लोकसभा चुनाव में तीन ऐसे विधायक भी हैं. जिन्हें संसद का टिकट दिया गया है. अगर प्रत्याशी जीत जाते हैं तो उन्हें विधायक की या फिर संसद का पद छोड़ना पड़ेगा. भाजपा ने 16 साल तक मुख्यमंत्री रहे और विधायक शिवराज सिंह चौहान को विदिशा लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. शिवराज के चुनाव जीतने के बाद बुधनी विधानसभा खाली हो जाएगी. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि शिवराज की परंपरागत सीट पर उत्तराधिकारी कौन होगा. वही शिवराज दिल्ली जाएंगे और उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलेगी, इसकी पुष्टि प्रधानमंत्री मोदी जरूर कर चुके हैं. इस पर उपचुनाव 6 महीने के भीतर कराया जाएगा.
वहीं भिंड लोकसभा सीट से फूल सिंह बरैया को भी कांग्रेस ने टिकट दिया है और मंडला से ओमकार मरकाम को भी प्रत्याशी बनाया है. यह दोनों नेता भी अगर चुनाव जीते हैं तो उन्हें विधायक की सीट छोड़नी होगी अगर फैसला विपरीत होता है तो दोनों ही प्रत्याशी विधायक बने रहेंगे लेकिन यह है कि अमरवाड़ा, विजयपुर और बीना में उपचुनाव जरूर होंगे. दरअसल लोक सभा चुनाव के बीच तीन विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास से प्रभावित और कांग्रेस के रीति से खफा होकर पार्टी छोड़ दी थी. रामनिवास रावत ने तो आरोप भी लगाए की पार्टी ने उनके साथ अन्याय किया गया. ऐसे प्रत्याशी को मुरैना लोकसभा सीट से टिकट दिया. जिसने उनके खिलाफ बूथ कैपचरिंग की थी.
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शाह ने आदिवासियों के अपमान का लगाया था आरोप
छिंदवाड़ा में कमलनाथ के सबसे करीबी नेताओं और विधायकों में शुमार अमरवाड़ा के तत्कालीन विधायक कमलेश शाह ने कई गंभीर आरोप लगाए. कमलेश शाह ने कहा कि नकुलनाथ चुने हुए जनप्रतिनिधियों और आदिवासियों का लगातार अपमान कर रहे हैं. कांग्रेस में रहकर विकास करना संभव नहीं है. जबकि कमलेश शाह तीन बार के विधायक हैं और उन्होंने 29 मार्च को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखते हुए अपना इस्तीफा भी सौंप दिया. विधानसभा अध्यक्ष ने कमलेश शाह का इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया है.
बीजेपी को रावत और निर्मला के इस्तीफे का इंतजार
इधर, 30 अप्रैल को रामनिवास रावत ने कांग्रेस के विधायक पद से इस्तीफा दे दिया लेकिन उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा अभी तक नहीं दिया है. वहीं 5 मई को बीना विधानसभा से विधायक निर्मला सप्रे ने भी बीजेपी ज्वाइन कर ली है लेकिन उन्होंने भी अब तक विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया है. बीजेपी को दोनों ही विधायकों की स्थिति का इंतजार है. वही रावत और निर्मला के इस्तीफा के बाद कांग्रेस ने दोनों ही विधानसभा सीटों पर दूसरे प्रत्याशियों की तलाश भी शुरू कर दी है.