MP News: शिक्षा में गुणात्मक सुधार को लेकर शासन और प्रशासन न केवल लगातार कोशिश कर रहा बल्कि स्कूल की चौखट तक बच्चों को पहुंचाने के लिए कई प्रयोग भी किए जा रहे हैं. जिससे गांव के बच्चे बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सके और उनका भविष्य संवर सके. लेकिन मऊगंज जिले के प्राथमिक शाला में बच्चो को जर्जर भवन से निकाल कर सड़क पर स्कूल लगा रहे है. नौनिहालों की ऐसी तस्वीरें हमें और आपको चिंतित करती है.
पूरा मामला मउगंज जिले का
मामला मऊगंज जिले के नईगढ़ी क्षेत्र मिसिरा प्राथमिक शाला का है. जहां 35 से 50 बच्चे जर्जर मकान में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे. जिस खबर को विस्तार न्यूज़ प्रमुखता से प्रकाशित किया था. जिसके बाद पदाधिकारियों ने दौरा किया तो लेकिन बच्चों को जर्जर मकान कर बाहर सड़क पर बैठा दिया, अब घर से शिक्षा लेने आए बच्चे सड़क पर बैठकर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और बच्चों की स्कूल तब तक संचालित होती है जब तक पानी नहीं बरसता अगर पानी बरसाना शुरू होता है तो बच्चों की छुट्टी कर दी जाती है.
खुले आसमान में बैठा कर स्कूल लगाना दुर्भाग्यपूर्ण
स्थानीय जनप्रतिनिधियों का भी कहना है कि इस तरह बच्चों को खुले आसमान में बैठा कर स्कूल लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है. इन्हीं सब कारण और वायरल हो रही तस्वीरों के चलते शायद एक आम इंसान भी सरकारी स्कूलों से दूरी बना रहा है साथ ही प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को पढ़ने के लिए मजबूर नजर आता है. क्योंकि खुले आसमान के नीचे बच्चों की पढ़ाई तो नही हो पा रही है ना हीं ठीक ढंग से सुरक्षा, बरसात के दिनों में जहरीले कीड़े बाहर निकलते हैं जो बच्चों के लिए खतरनाक हो सकते हैं.
तो ऐसे में बच्चे कैसे कहेंगे कि स्कूल चले हम
इस पूरे मामले पर जब विस्तार न्यूज़ ने प्रशासनिक अधिकारी से बात की तो वो अनजान नजर आए. जिला शिक्षा अधिकारी ने तो कहा कि उन्हें इस पूरे मामले की कोई जानकारी ही नहीं है आपके द्वारा जानकारी मिली है. कागज में नोट कर रहा हूं जल्द सुधार होगा.
स्कूल स्टॉफ की मानें तो स्कूल और गांव की पंचायत की ओर से कई बार शिक्षा विभाग को लिखा गया है, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई है. गांव के लोगों ने बताया कि जंहा कमरों की दिक्कत है, बच्चों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. परिजनों व बच्चों ने बताया कि कई बार वो स्कूल में आते वक्त खड़े गंदे पानी में गिर चुके हैं, लेकिन कोई आज तक समाधान नही हुआ है. खुले आसमान के नीचे बच्चे पठन-पाठन करते हैं जिसके कारण अभिभावकों की को भी चिंता बनी रहती है.
अब देखना होगा कि इस पर कितनी कार्रवाई होती है क्या बच्चों को छत नसीब हो पाएगी जब बच्चे जर्जर मकान के नीचे बैठकर शिक्षा ले रहे थे तो मुद्दा विस्तार न्यूज़ ने उठाया तो प्रशासन ने आनन फानन में बच्चों को जर्जर भवन से तो निकाल दिया. लेकिन उनके अधिकार की छत अभी तक नहीं मिली है अब बच्चों को इंतजार है की कब उन्हें छत नसीब हो पाएगी.