MP News: मशहूर भोजपुरी और छठ गायिका शारदा सिन्हा का 72 साल की उम्र में निधन हो गया. सिन्हा को ब्लड में इन्फेक्शन के बाद दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था. लंबी बीमारी के बाद कल यानी 5 नवंबर को रात 9.40 बजे निधन हो गया. सीएम डॉ मोहन यादव ने शारदा सिन्हा के निधन पर दुख जताया. सोशल मीडिया साइट एक्स (X) पर पोस्ट करके श्रद्धांजलि दी.
आज पूरे बिहार में ही नहीं, बल्कि संपूर्ण भारत में पद्मश्री, पद्म भूषण से अलंकृत, महान गायिका डॉ. शारदा सिन्हा जी के गीत सुने जा रहे थे। लोग उन्हें याद कर रहे थे और अचानक उनका यूं चले जाना उनके प्रशंसकों के लिए ही नहीं, बल्कि कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। छठ पर्व की कल्पना उनके… pic.twitter.com/4RexDn38ZR
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) November 5, 2024
मुख्यमंत्री ने पोस्ट करके लिखा, आज पूरे बिहार में ही नहीं, बल्कि संपूर्ण भारत में पद्मश्री, पद्म भूषण से अलंकृत, महान गायिका डॉ. शारदा सिन्हा जी के गीत सुने जा रहे थे. लोग उन्हें याद कर रहे थे और अचानक उनका यूं चले जाना उनके प्रशंसकों के लिए ही नहीं, बल्कि कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है. छठ पर्व की कल्पना उनके बिना अधूरी है.
छठी मैया से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्य आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान और शोकाकुल परिजनों को यह असीम दु:ख सहन करने की शक्ति दें. ॐ शांति!!
पीएम से लेकर नेता प्रतिपक्ष ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, ‘सुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है. उनके गाए मैथिली और भोजपुरी के लोकगीत पिछले कई दशकों से बेहद लोकप्रिय रहे हैं. आस्था के महापर्व छठ से जुड़े उनके सुमधुर गीतों की गूंज भी सदैव बनी रहेगी.’
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘अपनी मधुर आवाज के लिए प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा जी के निधन की खबर बेहद दुःखद है. उनके शोकाकुल परिजनों एवं प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं.’
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पद्मश्री से पद्म भूषण तक का सफर
शारदा सिन्हा का जन्म बिहार के सुपौल जिले के हुलास में 1 अक्टूबर 1952 को हुआ था. उन्होंने म्यूजिक में एमए की डिग्री ली थी. सिन्हा ने पहला भोजपुरी गीत 1974 में गाया था. साल 1978 में पहली बार ‘उग हो सूरज देव…’ गाना रिकॉर्ड किया. वहीं 1989 में पहली बार बॉलीवुड में एंट्री ली और ‘कहे तोहसे सजना ये तोहरी सजानियां…’ गाना गाया.
शारदा सिन्हा को बिहार की लता मंगेशकर कहा जाता है. छठ गीतों का पर्याय बन चुकीं सिन्हा ने लोगों के मन में जगह बनाई है. उनके पुरस्कार की बात करें तो साल 1991 में पद्मश्री, 2000 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 2006 में राष्ट्रीय देवी अहिल्या बाई अवॉर्ड, 2015 में बिहार सरकार पुरस्कार और 2018 में पद्म भूषण से नवाजा गया.