MP News: मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के गठबंधन को लेकर कहा कि फारूक अब्दुल्ला और कांग्रेस पार्टी का साथ मिलकर चुनाव लड़ना इंगित करता है कि कांग्रेस क्या नेशनल कांफ्रेंस के घोषणा पत्र अनुसार अलग झंडे के वादे का समर्थन करती है….???
क्या कांग्रेस धारा 370 और 35A को पुनः कश्मीर में लाना चाहती है..?
सीएम यादव ने कहा की बड़े दुर्भाग्य के साथ कहना पड़ रहा है कि कांग्रेस नेशनल कांफ्रेंस को साथ जोड़कर कश्मीर के बदले देश में अराजकता पैदा करना चाहती है. पुनः पाकिस्तान से वार्तालाप करना चाहती है. मैं उम्मीद करता हूं कि कांग्रेस को उन सारी बातों को याद करना चाहिए जिनके कारण से कश्मीर में अब तक 40 हजार से ज्यादा लोगों की हत्या हुई है.
कश्मीर आज विकास के एक अलग दौर में पहुंचा है, पूरे देश के साथ कदम-से-कदम मिलाकर चलना चाहता है, लेकिन कांग्रेस केवल वोट बैंक की राजनीति के कारण से दलितों, गुर्जर,बकरवाल और पहाड़ियों के आरक्षण को समाप्त करना चाहती है.
क्या कांग्रेस चाहती है कि शंकराचार्य पर्वत को तख़्त-ए-सुलिमान और हरि पर्वत को कोह-ए-मारन के नाम से जाना जाएं. ? इसके आगे सीएम यादव ने कहा कि क्या कांग्रेस फिर बाबा अमरनाथ की यात्रा पर संकट मंडराना चाहती है.? क्योंकि यही कारण थे जिनसे कश्मीर में अशांति बनी रही. जिसका कारण धारा 370 और 35 ए था. मैं उम्मीद करता हूं कि कांग्रेस को इन बातों का जवाब देना चाहिए.
मोदी सरकार ने ‘आर्टिकल 370 और 35A’ हटाने के बाद वर्षों से दलितों, आदिवासियों, पहाड़ियों और पिछड़ों के साथ हो रहे भेदभाव को ख़त्म करके उन्हें आरक्षण देने का काम किया।
क्या राहुल गाँधी JKNC के घोषणापत्र में उल्लेखित दलितों, गुज्जर, बकरवाल और पहाड़ियों के आरक्षण को समाप्त करने वाले… pic.twitter.com/2mBkLYIfXB
— Amit Shah (@AmitShah) August 23, 2024
जम्मू और कश्मीर के बीच विभाजन का काम कांग्रेस ने लंबे समय तक कराया और उसमें नेशनल कांफ्रेंस की बड़ी भूमिका थी.
मैं उम्मीद करता हूं कि आज कश्मीर का जो बदलता दौर है इस बदलते दौर में कांग्रेस फिर उन अराजक तत्वों के साथ मिल रही है, जिसका जवाब राहुल गांधी को देना चाहिए. सिर्फ इतना ही नहीं मैं यह भी उम्मीद करता हूं कि चुनाव की राजनीति में दलों की सीमा भले हो सकती है लेकिन राष्ट्रीय मुद्दों पर कांग्रेस को विचार करना चाहिए.
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन जी खड़गे विचार करें कि उनको नेशनल कांफ्रेंस के साथ खड़े होने की कौन सी मजबूरी थी, उसका जवाब जनता जानना चाहती है.