MP News: मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा प्रशासनिक भवन इन दिनों भूल-भुलैया की स्थिति से जूझ रहा है. मंत्रालय आने वाले आम व्यक्ति को पता ही नहीं है कि कौन सा विभाग कहां पर है और कौन सी बिल्डिंग में कौन से अधिकारी का ऑफिस है. वल्लभ भवन में मंत्री और अफसर के केबिन खोजने के लिए कर्मचारी परेशान हो रहे हैं. कौन सा मंत्री और अधिकारी कहां पर बैठा है कर्मचारियों को यह पता ही नहीं चल पा रहा है. इस वजह से फाइल समय पर नहीं पहुंच पा रही है. जब इसके पीछे की वजह है पूछी गई तो सामने आया कि कोई भी ठेकेदार मंत्री और अधिकारियों की नेम प्लेट लगाने में दिलचस्पी नहीं दिख रहा है.
मंत्रालय में नेम प्लेट नहीं
पिछले कुछ महीनो में मंत्रालय में कई बड़े अधिकारियों के ट्रांसफर हुए हैं. बड़ी संख्या में अफसर के तबादले होने की वजह से उनके ठिकाने भी बदल गए हैं. एक बिल्डिंग से दूसरे बिल्डिंग में जाकर अधिकारी शिफ्ट हो गए हैं. विभाग बदलने के साथ एक दिक्कत पैदा हो गई है कि कर्मचारियों को यह पता नहीं चल पा रहा है कि कौन से विभाग का अधिकारी कहां बैठा हुआ है क्योंकि अधिकारी और मंत्री की नेम प्लेट ही नहीं लग पाई है. वल्लभ भवन की तरफ से नेम प्लेट लगाने को लेकर कई पिछले कई महीनों से टेंडर जारी किया जा रहा है लेकिन कोई भी ठेकेदार नेम प्लेट लगाने के लिए तैयार नहीं है. इसकी वजह से मंत्रालय में फाइल घूम कर वापस बाबू के पास पहुंच रही है.
मंत्री और अधिकारी भी परेशान
मंत्रालय में अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव स्तर के 100 से अधिक अधिकारी पदस्थ हैं. मंत्रालय में 50 अधिकारियों के पिछले 3 महीने में ट्रांसफर हुए हैं. अधिकारियों के बदले जाने के बाद मंत्री भी परेशान हैं कि आखिर कौन से अधिकारी किस केबिन में बैठ रहे हैं. इसके अलावा कई अधिकारियों को एक विभाग के अलावा दूसरे विभाग की भी जिम्मेदारी दी गई है, जिसकी वजह से कई बार अफसर भी दूसरे केबिन तक नहीं पहुंच पाते हैं. ऐसे में मंत्री भी अफसर को मंत्रालय में खोजते रहते हैं.
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मंत्रालय दूसरों के लिए बना भूल-भुलैया
वल्लभ भवन में लोग शिकायत के साथ-साथ कई और मुद्दों को लेकर भी पहुंचते हैं. पिछले दिनों एक विधायक ने अधिकारियों से यह तक पूछ लिया कि 1 साल में कितनी बार बिल्डिंग में पोस्टिंग होती है.
वल्लभ भवन
मध्य प्रदेश का सरकारी भवन साल 1962 में बनवाया गया था. 3000 वर्ग मीटर में यह फैला है. इसमें मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी के दफ्तर हैं. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 400 करोड़ रुपए की लागत से यहां दो बिल्डिंग तैयार करवाई, जो साल 2018 में बनकर तैयार हुई.
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