प्रमोद कुशवाहा-
MP News: मैहर जिले के भटूरा स्थिति शासकीय माध्यमिक शाला के भवन की हालत जर्जर हो गई है. मजबूरी में नौनिहाल जान जोखिम में डालकर पढ़ाई कर रहे है. जर्जर भवन के कारण अब बच्चों के माता-पिता बच्चों को स्कूल नहीं भेजते है. अभिवावकों का कहना है कि हम बच्चों की जान जोखिम में नहीं डाल सकते. वहीं स्कूल में काम करने वाले शिक्षकों का आरोप है कि कई बार इसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई लेकिन जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है.
यह है पूरा मामला
पूरा मामला मैहर से 35 किलोमीटर दूर शासकीय माध्यमिक शाला भटूरा का भवन जर्जर है स्कूल की छत में दरारें आ गई है. जिससे यहां बारिश का पानी छात्रों से टपकता रहता है वहीं स्कूल की दीवारों में भी दरारें आ गई है और ऐसी स्थिति में बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर है शिक्षा विभाग के अधिकारियों को स्कूल भवन के जर्जर होने की जानकारी भी दे दी गई है मगर इसके बावजूद भवन की मरम्मत नहीं की जा रही है स्कूल के छात्र व शिक्षकों का यह भी कहना है कि स्कूल का प्लास्टर भी गिर रहा है पढ़ाई करते हादसे का डर भी बना रहता है.
शिक्षकों का कहना- कक्षा 1 से 8 तक बैठते है एक कमरे में
माध्यमिक शाला भटूरा के शिक्षक उर्मिला देवी रावत ने जानकारी देते हुए बताया गया कि लगभग सालों से विद्यालय का भवन क्षतिग्रस्त है. भवन क्षतिग्रस्त होने की जानकारी कई बार उच्चधिकारियों को भेजी जा चुकी है. कक्षा 1 से आठवीं तक के बच्चों को केवल एक ठीक-ठाक कमरे में बैठ कर पढ़ाया जा रहा है. लेकिन वर्षो बीत जाने के बाद भी आज तक विद्यालय भवन निर्माण की दिशा में प्रशासन द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया है.
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SDM बोले- नए विद्यालय के लिए उच्चधिकारियों को भेजा गया पत्र
शासकीय माध्यमिक विद्यालय भटूरा के भवनो के बारे में जब मैहर एसडीएम(SDM) विकास सिंह से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि इस विद्यालय की जानकारी पहले से थी विद्यालय की मरम्मत व नवीन विद्यालय के लिए पत्र लिखकर उच्चधिकारियों को भेज दिया गया है और जब तक विद्यालय की मरम्मत नहीं होती. तब तक वहां बच्चों को ना बैठाया जाए ऐसा उन्होंने प्रचार से भी कहा है.
कुल मिलाकर वर्षों से जो प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय की जो भवन जर्जर है और मासूम बच्चे इन परिस्थितियों में पढ़ने को मजबूर है. अब देखने यह होगा कि वहां क्या अधिकारियों की कथा अनुसार इतनी जल्दी जर्जर भवन की मरम्मत नए भवनों का निर्माण हो पाएगा. या फिर यह सब कुछ यूं ही चलता रहेगा क्योंकि नेताओं की नजरों के हिसाब से सब कुछ हरा भरा तो वहीं अधिकारियों की अपनी सीमाएं और तर्क है. पीसना केवल मासूमों को है जो वर्षों से पीस रहे.