MP News: बुधवार यानी 20 नवंबर को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई. मध्यप्रदेश में भगवान श्रीकृष्ण से संबंधित स्थानों को तीर्थ के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश लोक न्यास अधिनियिम 1951 के अंतर्गत “श्रीकृष्ण पाथेय न्यास” का गठन किए जाने की स्वीकृति प्रदान की गयी. भगवान श्रीकृष्ण से संबंध क्षेत्रों का साहित्यिक व सांस्कृतिक संरक्षण और संवर्धन किया जाएगा. न्यास द्वारा भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों एवं संरचनाओं का प्रबंधन, सांदीपनि गुरुकुल की स्थापना के लिए परामर्श, सुझाव, श्रीकृष्ण पाथेय के स्थानों का सामाजिक, आर्थिक तथा पर्यटन की दृष्टि से विकास, पुस्तकालय, संग्रहालय की स्थापना आदि गतिविधियों का क्रियान्वयन किया जा सकेगा. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित न्यास में कुल 28 सदस्य होंगे. इसमें 23 पदेन न्यासी सदस्य तथा 5 ख्याति प्राप्त विद्वत सदस्य, अशासकीय न्यासी सदस्य के रूप में नामांकित होंगे. अशासकीय न्यासी सदस्यों का कार्यकाल अधिकतम 3 साल का होगा.
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न्यास का मुख्यालय भोपाल में होगा
‘श्रीकृष्ण पाथेय न्यास’ का मुख्यालय भोपाल में होगा. इसके लिये 6 नए पद बनाए जाएंगे. श्रीकृष्ण पाथेय न्यास अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिये शासन अथवा अन्य स्त्रोतों से अनुदान एवं दान प्राप्त कर सकता है. न्यास के संचालन एवं उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये शोध-सर्वेक्षण एवं विकास कार्य के लिये आवश्यकतानुसार विशेषज्ञ समितियों का गठन किया जा सकेगा. न्यास के लिए श्रीकृष्ण पाथेय न्यास विलेख तैयार किया जायेगा. विलेख मे न्यास के अधिकार, कार्यकारी समिति, सदस्यों, कार्यकारी समिति के अधिकार, न्यासी सचिव के अधिकार, मुख्य कार्यपालक अधिकारी के अधिकार, न्यास के लेखे एवं अंकेक्षण एवं न्यास के कार्यक्षेत्र एवं सीमा से संबंधित विषयों का विस्तारपूर्वक वर्णन होगा.
भगवान कृष्ण से जुड़े स्थानों का संवारा जाएगा
श्रीकृष्ण पाथेय न्यास के उद्देश्यों में मध्य प्रदेश में भगवान श्रीकृष्ण के चरण जहां-जहां पड़े उन स्थानों को तीर्थ के रुप में विकसित किया जाएगा. सम्बन्धित क्षेत्रों का प्रलेखन (डाक्युमेंटेशन), अभिलेखन (रिकॉर्डिंग), छायांकन, फिल्मांकन तथा चित्राकंन किया जाएगा. श्रीकृष्ण पाथेय न्यास के अंतर्गत अवस्थित भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों एवं उनमें स्थित जल संरचनाओं, वन संपदा, उद्यान आदि की सुरक्षा, संरक्षण, संवर्धन एवं प्रबंधन किया जाएगा. इन धार्मिक तीर्थ स्थलों का राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाएगा. इसके साथ ही उज्जैन में 64 कलाओं और 14 विद्याओं की विधिवत शिक्षा के लिए सांदीपनि गुरुकुल की स्थापना हेतु परामर्श, सुझाव एवं अन्य कार्यवाही की जायेगी.