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MP News: खटारा गाड़ियों से ही पुलिस लोगों की करेगी मदद, नए टेंडर पर वित्त का अड़ंगा

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मध्य प्रदेश की डायल-100 (फोटो- सोशल मीडिया)

MP News: मध्य प्रदेश पुलिस की महती योजना डायल-100 में वाहनों का संचालन करने वाली मेसर्स बीवीवीजी इंडिया लिमिटेड कंपनी का कार्यकाल छह महीने के लिए बढ़ाया जा रहा है. वित्त विभाग ने नए टेंडर पर अड़ंगा लगा दिया है। जब तक नए टेंडर की प्रक्रिया पूरी होगी, तब तक मौजूदा कंपनी वाहनों का संचालन करती रहेगी. पीएचक्यू ने बीवीवीजी कंपनी का कार्यकाल छह महीने बढ़ाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेज दिया है. जल्दी इस पर शासन की सहमति की मुहर लग जाएगी. बीवीवीजी कंपनी का कार्यकाल 30 सितंबर 2024 को समाप्त होने जा रहा है. इसीलिए छह महीने का कार्यकाल बढ़ाने
का फैसला लिया गया है.

मध्यप्रदेश में डायल 100 सेवा शुरू होने के बाद से बीवीवीजी कंपनी वाहनों के संचालन के तौर पर अपनी सेवाएं रही है. कंपनी का कार्यकाल 2020 में पूरा हो चुका था. उसके बाद नई कंपनी नहीं आने के कारण तीन वर्ष तक छह छह माह के लिए उसका कार्यकाल बढ़ाया जता रहा है. साल 2020 का दौर कोरोना वायरस संक्रमण का था. इस कारण नया टेंडर नहीं हो पाया था. लिहाजा तय किया गया कि बीवीवीजी कंपनी का कार्यकाल बढ़ाया जाए. उसके बाद से कार्यकाल छह-छह महीने के लिए लगातार बढ़ाया जाता रहा है. नई कंपनी का चयन करने के लिए सितंबर 2022 में 690 करोड़ रुपए की निविदा निकाली गई थी. तब मामला कानूनी पचड़े में फंस गया था. समय बढ़ने साथ अब यह राशि बढ़कर 1350 करोड़ रुपए हो गई है. जब बारी नया टेंडर जारी करने की आई, तो वित्त विभाग ने इसके लिए मंजूरी नहीं दी। वित्त विभाग की ओर से बार-बार क्वैरी करने के कारण भी समय लगातार बढ़ता चला गया. पीएचक्यू के अधिकारियों का कहना है कि समय बढ़ने के साथ टेंडर में नई सुविधाएं भी जोड़ी गई हैं, जिससे वाहनों के संचालन का खर्च बढ़ गया है.

पुलिस को ज्यादा उठाना पड़ रहा मासिक भार

डायल-100 में संचालित वाहनों के पुराने होने के कारण पुलिस पर मासिक आर्थिक भार लगातार बढ़ रहा है. ऐसा इसलिए कि वाहनों का संचालन कंपनी करती है, लेकिन उनके लिए ईंधन मुहैया कराने का काम पुलिस करती है. गाड़ियां पुरानी होने के कारण एवरेज कम हो गया है. पहले जब सफारी गाड़ियां नई थीं, तब उनका एवरेज 12 का था और अब पुरानी होने के कारण एवरेज तीन से छह लीटर प्रति किमी हो गया है. पुलिस के वाहनों को पेट्रोलिंग लगातार करनी पड़ती है. डीजल-पेट्रोल पुलिस की ओर से मुहैया कराए जाने के कारण पुलिस पर आर्थिक भार लगातार बढ़ रहा है.

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डायल-100 की पहचान सफारी गाड़ियों से थी

डायल 100 की शुरुआत से सफारी गाड़ियां संचालित हो रही थीं. ऐसे में पहचान सफारी गाड़ियों की बन गई थी. शुरुआत में एक हजार गाड़ियों का संचालन शुरू किया गया था. उसमें तकरीबन तीन सौ गाड़ियां खराब हो गई हैं. इसका बड़ा कारण यह है कि सफारी गाड़ियां बंद
हो गई हैं और उनके पार्ट्स नहीं मिलते हैं. इस कारण सुधारने भी दिक्कत होती है. मौजूदा समय में कंपनी के पास 700 के करीब गाड़ियां बची हैं. ऐसे में कंपनी ने कुछ गाड़ियों का संचालन शुरू किया है. ऐसे में लोगों को भरोसा नहीं होता कि यह गाड़ी डायल 100 सेवा की है या नहीं.

दो हजार नई गाड़ियों का होना था टेंडर

नए टेंडर में दो हजार गाड़ियां संचालित करने का फैसला किया गया था. इसको लेकर टेंडर जारी होना था. टेंडर की शर्तों के अनुसार पहले चरण में 1500 वाहन आने थे और दूसरे चरण में 500 वाहन बुलाए जाने थे. शासन के स्तर पर यह क्वैरी की गई थी कि गाड़ियां कौन सी लगनी हैं और शुरुआती बजट कितना होगा. पीएचक्यू से जवाब भेजा गया, उसके बद मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया इसी कारण नए वाहनों के संचालन के लिए अभी तक टेंडर प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है. लिहाजा पुरानी कंपनी का कार्यकाल छह महीने बढ़ाने का निर्णय लिया गया है.

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