MP News: लेबनान का आतंकी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर(HUT) मध्य प्रदेश में सक्रिय हो रहा है. इसको लेकर भारत में सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है. जानकारी के मुताबिक NIA ने पिछले दिनों आतंकवाद विरोधी सम्मेलन में भारत में हिज्ब-उत-तहरीर(HUT) के विस्तार पर चर्चा की.
देश के 4 राज्यों में सक्रिय हो रहा है संगठन
हिज्ब-उत-तहरीर(HUT) नामक ये संगठन एमपी समेत तेलंगाना, तमिलनाडु और असम में सक्रिय हो रहा है. सूत्रों ने बताया कि तेलंगाना, तमिलनाडु, गुवाहाटी पुलिस, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और बीएसएफ(BSF) के आतंकवाद निरोधक एक्सपर्ट भी इस चर्चा में शामिल थे. लेबनान स्थित कट्टरपंथी समूह हिज्ब-उत-तहरीर(HUT) की मौजूदगी पश्चिमी देशों में है. इसमें ब्रिटेन भी शामिल है.
पिछले साल अक्टूबर में फिलिस्तीन समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन के बाद इसे प्रतिबंधित कर दिया गया था. इसमें इजरायल में हमास की कार्रवाई की प्रशंसा की गई थी. भारत ने हाल ही में इस समूह को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम 1967 के तहत रखा है. इसके स्लीपर सेल मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में उभरे हैं. दो दिनों के सम्मेलन के दौरान प्रस्तुत केस स्टडी में आतंकवाद निरोधी दस्ते द्वारा इस साल की शुरुआत में पकड़े गए मॉड्यूल शामिल थे.
देशभर में फैले थे स्लीपर सेल – NIA
अधिकारियों के अनुसार बाद में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस मामले को NIA को सौंप दिया. जिसने बाद में हिज्ब-उत-तहरीर के 17 सदस्यों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया. NIA की जांच से पता चला है कि इस आतंकी संगठन के सदस्य देश भर में फैले हुए थे. ये लोग मध्य प्रदेश में गुप्त रूप से अपने कैडर की भर्ती कर रहे थे और उसे मजबूत कर रहे थे.
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भोपाल से 10 सदस्य हुए थे गिरफ्तार
हिज्ब-उर-तहरीर (HUT) के मध्य प्रदेश में 16 सदस्य अब तक गिरफ्तार हो चुके हैं. ATS ने भोपाल के दस, छिंदवाड़ा से एक और यहां से जुड़े हैदराबाद के 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. भोपाल में ये शाहजहांनाबाद, लालघाटी, पिपलानी और ऐशबाग इलाके में रहते थे. गिरफ्तार किए गए सभी आरोपी लोगों के बीच रहकर अलग-अलग काम किया करते थे. सभी आरोपी जिम ट्रेनर, दर्जी, ऑटो ड्राइवर, कंप्यूटर टेक्नीशियन जैसे काम किया करते थे. वहीं एक सदस्य भोपाल के कोहेफिजा इलाके में कोचिंग सेंटर भी चला रहा था. आरोपियों के पास से एटीएस ने देश विरोधी दस्तावेज, तकनीकी उपकरण और अन्य सामान जब्त किया था.
बातचीत के लिए करते हैं सीक्रेट एप का इस्तेमाल
एक अधिकारी ने कहा कि हिज्ब-उर-तहरीर (एचयूटी) विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और सुरक्षित एप्स का उपयोग करके आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है. नेटवर्क पिछले कई सालों से काम कर रहा है. इस आतंकी संगठन के सदस्य बातचीत करने के लिए डार्क वेब में अलग-अलग कम्यूनिकेशन एप्स जैसे श्रीमा रॉकेट चैट का इस्तेमाल करते थे. इन एप्स का इस्तेमाल आईएसआईएस (ISIS) भी करता है. संगठन की योजना युवाओं को जिहाद के लिए तैयार करना है. वहीं सदस्यों को आईएसआईएस (ISIS)के लिए फंड इकट्ठा करने के लिए कहा जाता था.