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Madhya Pradesh में हादसे रोकने की कवायद, सड़कों से गौवंश हटाने के लिए बनाए जाएंगे 10 गौ अभ्यारण्य

Madhya Pradesh

प्रतीकात्मक चित्र(फोटो- सोशल मीडिया)

Madhya Pradesh: राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य राजमार्ग पर द्रुत गति से दौड़ते वाहनों की चपेट में आकर दम तोड़ने वाले गौवंश को बचाने और सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिए अब राज्य सरकार प्रदेश में दस स्थानों पर गौ अभ्यारण्य बनाएगी इन्हें गौवंश वन्य विहार भी कहा जाएगा. इसके लिए राज्य सरकार ने स्थान चिन्हित कर लिए है.

प्रदेश में राजमार्गों पर विचरण करने वाले निराश्रित गौवंश की रोकथाम के लिए राज्य सरकार ने पॉयलट के तौर पर प्रदेश के छह जिलों में गौ पेट्रोलिंग शुरु की थी. इस दौरान रायसेन में सर्वाधिक 72 गौवंश सड़क हादसों में मारे गए. देवास जिले में 47, सीहोर जिले में 25, विदिशा में 12, राजगढ़ 13 इस तरह कुल 169 गौवंश पेट्रोलिंग टीम को मिले है. जिनका स्थानीय निकायों ने सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार किया. वहीं भोपाल, सीहोर, देवास, राजगढ़, रायसेन, विदिशा जिलों में 535 गौवंश घायल मिले, जिनका उपचार कर इनमें से 518 को राजमार्ग से चिन्हित गौशालाओं में पहुंचाया गया.

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कुल 4 हजार 134 गौवंश को स्थानीय निकाय, टोल संचालकों द्वारा राजमार्ग से हटाकर गौशालाओं में पहुंचाया गया. अब इन गौवंश की सड़क हादसों में मौत पर लगाम लगाने और गौवंश से होंने वाली सड़क दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए राज्य सरकार ने प्रदेश के दस स्थानों पर गौ अभ्यारण्य शुरु करने का निर्णय लिया है.

यहां बनेंगे गौ अभ्यारण्य

सुसनेर ग्राम सालरिया में 472.63 हेक्टेयर जमीन पर गौ अभ्यारण्य अनुसंधान एवं उत्पादन केन्द्र खोला जाएगा. रायसेन जिले के ग्राम चिकलोद कला में सौ हेक्टेयर जमीन पर , सागर जिले के ग्राम देवल में 1462 हेक्टेयर जमीन पर, मंदसौर के ग्राम मोरखेड़ा में अस्सी हेवेयर जमीन पर, अशोकनगर के ग्राम नडेरी 15.495 हेक्टेयर जमीन पर, पन्ना के ग्राम शिकारपुरा में 383 हेक्टेयर भूमि पर, सतना के ग्राम पडमनिया जागीर में 931 हेक्टेयर जमीन, जबलपुर के ग्राम देहरीकलां, देहरी खुर्द गांव में 409 हेक्टेयर जमीन, टीकमगढ़ के ग्राम चरपुवां और खरगौन के ग्राम ओखला में 15.351 हेक्टेयर जमीन पर और खरगौन जिले के गौसदन ओखला विकासखंड बड़वाह के ओखला गांव में 528.7 हेक्टेयर जमीन पर गौ अभ्यारण्य खोले जाएंगे. प्रत्येक गौ अभ्यारण्य के निर्माण पर बीस से पच्चीस करोड़ रुपए खर्च कर तीन हजार गौवंश को रखने का इंतजाम किया जाएगा.

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