MP News: मध्य प्रदेश में सात लाख कर्मचारी पिछले 6 महीने से महंगाई भत्ता यानी डीए में बढ़ोतरी का इंतजार कर रहे हैं. केंद्र की तुलना में मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को 8 फीसदी कम डीए मिल रहा है. वहीं रिटायर्ड कर्मचारियों को 12 फीसदी कम मंहगाई भत्ता दिया जा रहा है.
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वित्त विभाग के अधिकारियों की मानें तो दो बार कैबिनेट में डीए बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा जा चुका है. हालांकि कैबिनेट की बैठक में डीए बढ़ाने पर सहमति नहीं मिली है. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले राज्य सरकार कर्मचारियों को डीए की सौगात दे सकती है. कर्मचारियों को मंहगाई भत्ता देने के लिए सरकार ने लेखानुदान में 6 हजार करोड़ रुपए की अतिरिक्त व्यवस्था भी की है. ऐसे में वित्तीय वर्ष साल 2023-24 खत्म होने से पहले डीए का आदेश जारी किया जा सकता है. 31 मार्च से पहले सरकार को कर्मचारियों को मंहगाई भत्ता देना अनिवार्य है, आचार संहिता के बीच आदेश सरकार जारी नहीं कर पाएगी.
रिटायर्ड कर्मचारियों को ज्यादा उम्मीद
बता दें कि मध्य प्रदेश में 4 लाख से अधिक रिटायर्ड कर्मचारी है. सेवानिवृत्ति होने के बाद उनका खर्च पेंशन से ही हो रहा है. मंहगाई के दौर में जीवन यापन करने के लिए पेंशन ही एक सहारा है. ऐसे में उन्हें 38 फीसदी ही डीए मिल रहा है. जबकि मौजूदा कर्मचारियों को 42 फीसदी मंहगाई भत्ता मिल रहा है. एमपी सरकार को रिटायर्ड कर्मचारियों के डीए बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार से भी अनुमति लेनी होती है. ऐसी स्थिति में राज्य सरकार पहले भी पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ को पत्र लिख चुकी है लेकिन सहमति नहीं बनने पर 4 फीसदी डीए बढ़ाने पर फैसला नहीं हुआ है.
इतने रुपए तक बढ़ेगा कर्मचारियों का अलाउंस!
डीए बढ़ाने से राज्य पर जरूर वित्तीत बोझ आए लेकिन कर्मचारी और अधिकारियों को 2 हजार से लेकर चुतुर्थ श्रेणी के कर्माचारियों को 300 रुपए तक फायदा होगा. इसके अलावा एरियर्स और डीए बढ़ाने से 800 करोड़ रुपए का भार सरकार के खजाने में आएगा. कर्मचारियों का कहना है कि विधानसभा चुनाव के दौरान एमपी के अलावा राजस्थान और छत्तीसगढ़ सरकार ने कर्मचारियों को डीए देने के लिए चुनाव आयोग से मंजूरी ली थी. एमपी सरकार ने डीए बढ़ाने पर पहल नहीं की थी. अब लोकसभा चुनाव से पहले सरकार ने कर्मचारी और पेंशनर्स को डीए बढ़ाकर राहत देनी चाहिए.