MP News: नवरात्र में धार्मिक आस्था के कारण शराब ठेकेदारों और बार-पब संचालकों का धंधा मंदा हो गया है. नौ दिनों तक शराब को न छूने के लोगों के संकल्प के कारण भोपाल जिले में शराब की बिक्री करीब 65 फीसदी से ज्यादा घट गई है. सामान्य दिनों में राजधानी में रोजाना करीब साढ़े तीन करोड़ की शराब बिकती है. नवरात्र के तीन दिनों में यह आंकड़ा घटकर करीब एक से सवा करोड़ रुपए रोजाना तक पहुंच गया है.
राजधानी में 87 लाइसेंसी शराब की दुकानें और 60 बार-पब हैं. इन दिनों यहां भीड़ काफी कम हो गई है. असल में नवरात्र के दौरान लोग शराब से दूरी बना लेते हैं. एक शराब कारोबारी का कहना है कि यह अलग बात है कि नवरात्र शुरू होने से एक दिन पहले और खत्म होने के तीन दिन बाद तक बिक्री काफी बढ़ जाती है. नौ दिन का कोटा इन तीन-चार दिनों में पूरा हो जाता है. उनका कहना है कि 9 दिन के बाद दशहरे के दिन से ही लगातार शराब की बिक्री भी बढ़ जाती है. ऐसा साल में दो-तीन बार त्योहारों के समय में होता है.
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ऐसे समझें बिक्री का गणित
आबकारी अधिकारियों के मुताबिक, मौजूदा वित्तीय वर्ष 33 समूह की 87 शराब दुकानों के ठेके 894 करोड़ में गए हैं. यानी साल भर में इन ठेकेदारों से 894 करोड़ की लाइसेंसी फीस सरकार लेगी. एक दिन की फीस 2.44 करोड़ बनती है. यह फीस चुकाने के लिए ठेकेदारों को रोजाना साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा की शराब बेचनी पड़ती है, क्योंकि उन्हें फायदे के अलावा खर्च भी निकालने होते हैं. ड्राई डे पर भी एक दिन में साढ़े तीन करोड़ की बिक्री प्रभावित होती है.
प्रदेश भर की भी यही स्थिति, 55 जिलों में शराब की बिक्री घटी
आबकारी विभाग के मुताबिक राजधानी सहित प्रदेश भर की यही स्थिति बनी हुई है. 55 जिलों में शराब की बिक्री घटी है. मूल वजह त्यौहार ही मानी जा रही है. इसके अलावा शराब बनाने वाली कंपनियों ने भी प्रोडक्शन काम कर दिया है. विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जिन शराब कंपनियों के पास स्टॉक है. वह दूसरे राज्यों में भेज रहे हैं. खास तौर पर साउथ और नॉर्थ ईस्ट की तरफ मध्य प्रदेश से शराब की सप्लाई ज्यादा हो रही है. क्योंकि नॉर्थ इंडिया में खपत कम हो रही है.