MP News: आग लगने की घटनाएं रोकने में मप्र देश में अव्वल हो गया है. प्रदेश देश के उन 7 राज्यों में शामिल हो गया है जहां के वनों में सबसे कम आग की घटनाएं हो रही है, जबकि प्रदेश में सबसे ज्यादा वन क्षेत्र है. आग की सर्वाधिक घटनाओं वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं।श. प्रदेश में इस साल 14 हजार से अधिक घटनाएं हुई हैं जबकि वर्ष 2021 में यह आंकड़ा 55 हजार था. यह आंकड़े पिछले सप्ताह राष्ट्रीय सर्वे में सामने आए हैं.
पिछले सप्ताह नेशनल क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी ने राष्ट्रीय स्तर पर वन क्षेत्रों के फादर पॉइंट को लेकर रिव्यू किया है. बताया गया कि देशभर में ऐसे 150 जिले चिन्हित किए गए हैं जहां सबसे ज्यादा वन क्षेत्रों में आग की घटनाएं होती हैं. इनमें मप्र के 15 जिले शामिल हैं. 2024 में देशभर में 1.95 लाख फायर पॉईंट थे। इनमें मात्र के 14,775 हैं। प्रदेश में 95 हजार वर्गमीटर वन क्षेत्र है, इसमें इस सल 2,200 वर्ग मीटर में फायर पॉइंट सामने आए हैं जो कि 22 प्रतिशत कमी है.
जंगलों में आग के कारण
महुआ के फूल एकत्र करने के लिए आग लगाई जाती है.जंगलों के आसपास के खेतों में नरवाई जलाने के लिए आग लगाना. इससे हवा के जरिए आग जंगलों में पहुंच जाती है तेंदूपत्ता के नए पत्तों के लिए आग लगाई जाती है.
इस रणनीति से आई कमी
प्रदेश से चार सेटेलाइट गुजरते हैं जिससे हर 6-6 घंटे में एलर्ट मिलता है एमपी में सिंपलीफायर देव विकसित किया गया है. इससे नासा से सूचना सैकड़ों में आती है. कर्मचारी जंगल के आसपास ही रहते हैं. जिससे तत्काल मौके पर पहुंच जाते हैं. आग लगने की आशंका वाले वन क्षेत्रों की पहचान की गई. पूर्व चेतावनी और आग के खतरे की रेटिंग के लिए सिस्टम बनाया. आग को रोकने के लिए समुदायों के साथ काम करना.
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कई जिले खतरे से बाहर
पीसीसीएफ संरक्षण दिलीप कुमार का कहना है कि प्रदेश के 15 जिलों के वन क्षेत्र आग से अधिक प्रभावित रहते हैं. लेकिन इनमें से अब मंडला, बैतूल, खंडवा और छिंदवाड़ा बाहर हो गए हैं जबकि सतना और सीधी नए जिले जुड़े हैं.
आग की घटनाओं में कमी
प्रदेश में देश का सबसे अधिक वन क्षेत्र हैं, फिर भी यहां अब आग की घटनाओं पर तेजी से नियंत्रण पाया जा सका है. एमपी अब देश में अव्वल राज्यों में शामिल हो गया है जहां कम से कम फायर पॉइंट है. वनों की सुरक्षा के प्रबंध और बढ़ाए जा रहे हैं.