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डिंडोरी का Ghughwa National Fossil Park हो रहा उपेक्षा का शिकार, वन विभाग अफसरों एवं जनप्रतिनिधियों पर लापरवाही का आरोप

Ghughwa National Fossil Park

घुघवा स्थित राष्ट्रीय जीवाश्म उद्यान

अनिल साहू- 

MP News: घुघवा नेशनल फॉसिल्स पार्क का मेन गेट देखकर कोई भी धोखा खा सकता है. घने जंगलों के बीच स्थित पार्क की ख़ूबसूरती बाहर से देखते ही बनती है लेकिन पार्क के अंदर पहुंचते ही चौंकाने वाली तस्वीरें नजर आने लगती है. बताया जाता है की जीवाश्म तब बनते हैं जब मरे हुए पौधों या जानवरों के शरीर के उतकों का प्रतिस्थापन खनिज पदार्थों से हो जाता है. मरा हुआ जीव या पेड़ पौधे पत्थर जैसे कड़े हो जाते हैं और उसका रूप वही रहता है. जिन पौधों के जीवाश्म इस पार्क में मौजूद है वो करीब साढ़े 6 करोड़ वर्ष पुराना बताया जाता है. पार्क में तरह तरह के जीवाश्म बिखरे पड़े हैं जिन्हें न तो विधिवत रखा गया है और न ही वैज्ञानिक सम्मत तरीके से जीवाश्मों को संरक्षित किया गया है.

एशिया का सबसे बड़ा फॉसिल्स पार्क

पार्क के म्यूजियम में रखा कथित डायनासौर का अंडा भी आकर्षण का केंद्र है. जिसके सैंकड़ों वर्ष पुराना होने का दावा किया जाता है. पर्यटकों के लिये पार्क के अंदर मौजूद कैंटीन करीब 12 वर्षों से बंद पड़ा हुआ है तो स्टॉफ की कमी के चलते गेस्ट हाउस में पर्यटकों के रुकने के कोई इंतज़ाम भी नहीं है. पार्क में तैनात महिला वनकर्मी प्रियंका ने विस्तार न्यूज से बातचीत में कई अहम जानकारी दी. प्रियंका ने बताया कि यह अपने देश ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे बड़ा फॉसिल्स पार्क है. जहां व्यापक तौर पर साढ़े छह करोड़ वर्ष पुराने ट्री फॉसिल्स पाए जाते हैं. पार्क की स्थापना 5 मई 1983 को हुई थी जो 27. 24 हेक्टेयर में फैला हुआ है. प्रियंका ने बताया की पार्क में केंटीन तो है लेकिन टेंडर नहीं होने के कारण पिछले 12 सालों से बंद पड़ा हुआ है. परिवार के साथ जबलपुर से घुघवा पहुंचे सैलानी आशीष का कहना है की देश के इस इकलौते जीवाश्म पार्क में प्रयटकों के लिए माकूल इंतज़ाम करना चाहिए. जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिल सके.

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4 साल पहले आई राशि हो गई लैप्स

घुघवा नेशनल फॉसिल्स पार्क को अपग्रेड करने के लिये करीब चार वर्ष पहले केंद्र सरकार ने 1 करोड़ 96 लाख रूपये जारी किये थे. लेकिन वन विभाग के अफसरों एवं जनप्रतिनिधियों की लापरवाही के कारण यह राशि लैप्स हो गई. जानकारी के मुताबिक वन विभाग के अफसरों ने निर्धारित समय में पार्क से संबंधित दस्तावेज जमा नहीं किये. जिसके कारण पार्क का जीर्णोद्धार नहीं हो पाया. इलाके के पूर्व विधायक भूपेंद्र मरावी जिनका गृहग्राम घुघवा नेशनल पार्क से बिल्कुल लगा हुआ है उन्होंने पार्क की बदहाली व उपेक्षा के लिए जिले के अफसरों को जिम्मेदार बताया हैं. तो वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इस मामले में कैमरे के सामने कुछ भी कहने से बचते हुए नजर आते रहे.

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