Vistaar NEWS

MP News: ग्वालियर में PHE घोटाले के मामले में कलेक्टर का बड़ा एक्शन, 74 और लोगों पर FIR दर्ज करने के दिए आदेश

Gwalior Collector Ruchika Chauhan

ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान

MP News: मध्य प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार पर कितनी भी लगाम लगाने की बात करें, लेकिन अधिकारी और कर्मचारी मिलकर आज भी शासकीय धनराशि में सेंध लगा रहे हैं. ऐसा ग्वालियर के PHE डिपार्मेंट में हुआ है जहां 84 करोड़ की राशि भ्रष्टाचार के पलीते चढ़ गई. शुरुआत में इस भ्रष्टाचार को लेकर सिर्फ नौ आरोपी बनाए गए थे, लेकिन अब ग्वालियर कलेक्टर ने 74 लोगों पर मामला दर्ज करने के आर्डर जारी कर दिए हैं.

84 करोड़ की राशि का हुआ बंदरबाट

ग्वालियर के पीएचडी डिपार्टमेंट के अधिकारी और कर्मचारियों ने सरकार की ऐसी किरकिरी कराई है कि कलेक्टर को 74 लोगों पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश देने पड़े. क्योंकि इन कर्मचारियों ने 84 करोड़ की राशि फर्जी तरीके से बंदर बांट कर ली और वह भी ऐसे कर्मचारियों के नाम से जिनमें कई तो अब इस दुनिया में ही नहीं हैं. शिकायत के बाद जब इसकी फाइनेंशियल टीम ने जांच की तो इसमें कुछ PHE विभाग के अधिकारी, कुछ ट्रेजरी ऑफिसर, और कुछ फर्म के नाम पर भुगतान कर दिया गया.

दरअसल यह भ्रष्टाचार तब सामने आया जब PHE विभाग के इंजीनियर संजय सोलंकी ने सरकारी धनराशि मरे हुए लोगों के खाते में ट्रांसफर करने की शिकायत क्राइम ब्रांच में की थी. पुलिस ने शुरुआती जांच में 9 लोगों पर मामला दर्ज किया था जिसमें फरियादी संजय सोलंकी भी शामिल है. 84 करोड़ की राशि को दूसरों के खाते में ट्रांसफर करने के लिए फर्जी दस्तावेज और अकाउंट खुलवाए गए.

ये भी पढ़ें: नर्सिंग फर्जीवाड़े पर पहली बार चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने दिया जवाब, बोले- कमलनाथ सरकार में 300 से अधिक कॉलेज को मान्यता दी गई थी

पूरे मामले में अधिकारियों से लेकर ट्रेजरी ऑफिसर तक शामिल

इस पूरे घोटाले में वैसे तो मुख्य आरोपी संजय सोलंकी और हीरालाल हैं लेकिन उन सभी लोगों को आरोपी बनाया जा रहा है. जिनके खाते में रकम ट्रांसफर की गई और जिन्होंने ट्रांसफर की. यानी डिपार्टमेंट के अधिकारियों से लेकर ट्रेजरी ऑफिसर तक इसमें शामिल है. इस घोटाले के मास्टरमाइंड संजय सोलंकी ने कर्मचारियों के नाम पर अलग खाते खुलवा लिए और राशि उन खातों में ट्रांसफर करवाई गई, लेकिन जांच में पाया गया कि जिस मद में राशि ट्रांसफर करवानी थी उसके बिल ही नहीं लगाए गए और फर्जी तरीके से दस्तावेज बनाकर राशि खातों में ट्रांसफर करने की आर्डर जारी कर दिए गए. यह राशि एक बार नहीं बल्कि कई बार ट्रांसफर की गई. जिनके खातों में पैसा गया उनमें कुछ कर्मचारियों का वेतन बताया गया, कुछ विभागीय कार्य करने वाली फर्म बताई गई और कुछ अन्य लोग भी शामिल है.

हैरानी की बात तो यह है कि दर्जनों खाते ऐसे हैं जिनमें 5 लाख से ऊपर की मिलती-जुलती एक जैसी रकम उनके खातों में ट्रांसफर की गई. इसीलिए जांच टीम को यह मामला संदिग्ध लगा. फिलहाल तो पुलिस ने इस घोटाले में छह आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है अब इसमें 74 और लोगों को चिन्हित किया गया है अब जल्दी इनकी गिरफ्तारी भी की जाएगी.

Exit mobile version