ग्वालियर: एमपी के ग्वालियर जिले में आग की घटना पर काबू पाने के लिए लाई गई लगभग 5 करोड़ की हाइड्रोलिक प्लेटफार्म मशीन धूल खा रही है. हालात ये है कि शहर में ऊंची बहुमंजिला इमारतों में आग बुझाने के लिए हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म मशीन को ऑपरेट करने करने के लिए पिछले पांच सालो में निगम को ऑपरेटर और फायरमैन नही मिल पा रहा है. यह लगभग 5 करोड़ की मशीन फायर ब्रिगेड की ऑफिस पर शो पीस खड़ी है.
5 सालों से शो पीस बनी है हाइड्रोलिक प्लेटफार्म मशीन
दरअसल शहर की 10 से 15 मंजिला ऊंचाई की 100 से अधिक बिल्डिंग में किसी भी संभावित अग्नि की स्थिति में लोगों को सुरक्षित निकालने और आज को काबू में पानी के लिए 4.58 करोड़ का हाइड्रोलिक प्लेटफार्म मशीन पिछले 5 सालों से इसलिए शो पीस बना हुआ है क्योंकि उसे चलाने वाला नहीं कोई मिल पा रहा है. इसके संचालन के लिए जरूरी ऑपरेटर और फायरमैन को रखने के लिए नगर निगम 1 साल से टेंडर निकाल रहा है लेकिन अभी तक कोई भी फॉर्म इसके संचालन के लिए तैयार नहीं है. ऐसी स्थिति में अगर गर्मियों में पांच मंजिल से अधिक इमारत में आगे की घटनाएं आती है तो इस मशीन को ऑपरेट करने वाला कोई नहीं है. यही कारण है कि यह मशीन अब शो पीस बनी है सुबह और शाम फायर ब्रिगेड की कर्मचारी इस पर कपड़ा मारकर इसे चमकाने का काम कर रहे है.
दरअसल गर्मियों के दिनों में अक्सर आगजनी की घटनाएं सामने आती है. हर साल आगजनी की घटनाओं में कई लोगों की जान चली है तो कई लोग बुरी तरह झुलस जाते हैं, लेकिन इसके बाबजूद प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठा पता है.
साल 2019 में खरीदी गई थी मशीन
ग्वालियर शहर में बढ़ती आगजनी की घटनाओं को लेकर नगर निगम ने साल 2019 में लगभग 4.98 लाख रुपए की हाइड्रोलिक प्लेटफार्म मशीन को खरीदा था. जब मशीन खरीदी गई उसे दौरान कंपनी के इंजीनियरों ने यहां की स्टाफ को हाइड्रोलिक प्लेटफार्म चलाने के तरीके के बारे में बताया था, लेकिन नगर निगम ने टीम बनाकर कर्मचारियों को ट्रेनिंग के लिए कंपनी में नहीं भेजा था. अब हाइड्रोलिक प्लेटफार्म पर ट्रेंड कर्मचारी रखने के लिए टेंडर कर दिए गये हैं. नगर निगम कमिश्नर अपर आयुक्त मुनेश सिंह सिकरवार ने बताया है कि इसको एक्सपर्ट के माध्यम से चलवाने का काम शुरू कर रहे हैं. मुनेश सिंह सिकरवार का कहना है कि मैने अभी कुछ देने पहले ही चार्ज लिया है और यह मशीन कितने की आई है उसकी जानकारी लेता हूं. अभी मैने इसका दौरा नहीं किया है. दौरा करने के बाद जो भी समस्या है उसका निराकरण किया जाएगा.
महाराज बाड़े पर हुए हादसे में दो निगम की कर्मचारी की चली गई थी जान
बता दे कि वर्ष 2021 में महाराज बाड़े पर हुए हादसे में निगम की कर्मचारी प्रदीप राजोरिया कुलदीप दंडोतिया और विनोद शर्मा की जान चली गई थी. उसके बाद कई दिनों तक यह मशीन जांच के लिए खड़ी रही. जांच के बाद नवंबर 2021 में गुड़गांव की कंपनी लिप मेक उद्योग प्राइवेट लिमिटेड से बात होने के बाद हाइड्रोलिक प्लेटफार्म वहां को ठीक करने के लिए गुड़गांव भेजा गया, लेकिन इस वाहन के कुछ पार्ट यूरोप की अलग-अलग कंट्री से आने से थे जिसके कारण यह वहां 10 महीने से अधिक समय के बाद वहां से ठीक होकर आयी थी, तब से यह शेड में खड़ा हुआ है इसकी बैटरी खराब न हो सके इसके लिए वाहन को ट्रक की तरह शेड से निकलते हैं और कुछ देर चालू रखने के बाद उसकी शेड में वापस खड़ा कर दिया जाता है.
ग्वालियर में कब-कब हुई आग जनी की बड़ी घटनाएं
साल 2020 में एक पेंट गोदाम में भीषण आग लगी,जिसमे तीन मासूम सहित 7 लोगो की जिंदा जलने से मौत हुई थी. वही रेस्क्यू के दौरान 11 लोगों को जिंदा बाहर निकाला गया था.
साल 2020 में एक प्लास्टिक पर फैक्ट्री गोदाम में भीषण आग लगी और एक के बाद धमाके हुए. जिसमें कई लोग झुलसे से थे.
ग्वालियर के सिटी सेंटर इलाके में 2024 में भीषण आग लग गई, बड़ी मशक्कत के बाद बुजुर्ग महिला और पुरुष को बचाया गया.
इसके अलावा साल 2023 में ग्वालियर में भीषण आगजनी की घटनाएं सामने आई, जिसमें करोड़ों रुपए की जनहानि हुई और कई लोग झुलस गए.
मशीन का ऑपरेट नहीं होना निगम की अक्षमता का कारण
इस मामले में ग्वालियर नगर निगम के पूर्व कमिश्नर विनोद शर्मा का कहना है कि भोपाल इंदौर की तरह ग्वालियर मेट्रोपोलियन सिटी है. जहां पर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग है और इसको लेकर यह हाइड्रोलिक मशीन बहुत जरूरी है. यह मशीन बड़ी मेहनत के बाद उपलब्ध हुई थी, लेकिन बड़े प्रयासों के बाद भी इस मशीन का ऑपरेट नहीं है यह निगम की अक्षमता का कारण है. निगम के पास कई बड़े ऑफिसर कर्मचारी उपलब्ध है जिन्हें ट्रेनिंग दी जा सकती है या फिर कोई ऑपरेटर हायर कर सकते हैं, लेकिन पिछले 5 सालों में नगर निगम में इसका दुरुपयोग किया गया है.
बंदरबाट करने के लिए खरीदी जाती हैं बड़ी-बड़ी मशीनें: कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष आर पी सिंह
वही कांग्रेस निगम की इस बड़ी लापरवाही को नरक बता रही है. कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष आर पी सिंह कहना है कि यहां बड़ी-बड़ी मशीनें इसलिए खरीदी जाती हैं ताकि बंदरवाट हो सके. यदि यह मशीन चलती है तो सिर्फ फोटो खिंचाने के लिए चलती है. कांग्रेस विधायक सतीश का कहना है कि ग्वालियर में सबसे बड़ी घटना हुई है तब से यह मशीन बंद पड़ी है निश्चित रूप से इसे व्यवस्थित करना चाहिए और ऑपरेटर की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि जान बच सके.
बहरहाल ग्वालियर नगर निगम अभी भोपाल और इंदौर जैसे अग्निकांड का इंतजार कर रहा है यही कारण है कि वह पिछले 5 सालों में 5 करोड़ की मशीन के लिए एक ऑपरेटर की तलाश नहीं कर पाया है हर बार जब जिम्मेदारों से सवाल किया जाता है तो उनका सिर्फ एक ही रटा रटाया जवाब होता है की ऑपरेटर की तलाश की जा रही है.