MP News: सुपर स्पेशलिटी अस्पताल को प्रदेश में हार्ट ऑपरेशन के मामले में जिस मशीन ने नई पहचान दी. वह अब खराब हो गई है. साढ़े पांच साल तक 10 हजार से अधिक ऑपरेशन इस मशीन से हुए. अब इसके कलपुर्जे खराब हो गए है. इन्हें सुधारने चेन्नई से इंजीनियर पहुंचे हैं. जल्द ही मशीन सुधार ली जाएगी. वहीं दूसरी तरफ अस्पताल प्रबंधन ने दूसरी नई मशीन खरीदने की तैयारी शुरू कर दी है. डीन को प्रस्ताव भेजा गया है.
दूसरी कैथलैब मशीन खरीदने की तैयारी चल रही
बता दें कि, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल हार्ट के ऑपरेशन के मामले में प्रदेश में नंबर वन पर है. सरकारी अस्पतालों में रीवा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में सबसे अधिक ऑपरेशन होते हैं. यहां एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी हो ही रहे थे. अब ओपन हार्ट सर्जरी भी शुरू कर दी गई है. कॉर्डियोलॉजी विभाग में साढ़े पांच साल पहले कैथलैब मशीन आई थी. इसकी मदद से ही एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी की जाती है. यह मशीन अचानक खराब हो गई है. पिछले दो सप्ताह से अस्पताल में सारे ऑपरेशन बंद पड़ गए हैं. एमरजेंसी मामलों को बाहर भेजा जा रहा है. वहीं स्टेबल मामलों को रुकने की सलाह दी जा रही है. कैथलैब मशीन के खराब होने से हार्ट के मरीजों को परेशानियां उठानी पड़ रही है. इस परेशानी को दूर करने के लिए अब दूसरा विकल्प तलाशा जा रहा है. सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में दूसरी कैथलैब मशीन खरीदने की तैयारी की जा रही है. इसका प्रस्ताव बनाकर डीन श्याम शाह मेडिकल कॉलेज को भेजा गया है.
अभी तीन से चार दिन और लगेंगे
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की कैथ लैब मशीन को सुधरने में अभी तीन से चार दिन और लगेंगे. मशीन काफी पुरानी हैं. इसके कारण चलते चलते इसके पार्ट खराब हो गए हैं. चार पार्ट नहीं मिल मिल रहे हैं. भोपाल और चेन्नई से इंजीनियर रीवा पहुंचे हैं. इनकी देख रेख में ही काम चल रहा है. मशीन के उपकरण मिलते ही मशीन को ठीक कर लिया जाएगा. इसमें फिलहाल तीन से चार दिन का समय और लग सकता है.
मशीनों को जबलपुर रेफर किया जा रहा
सुपर स्पेशलिटी में सबसे अधिक हार्ट के मरीज पहुंचते हैं. इनमें से जो गंभीर और ऑपरेशन लायक मरीज हैं, उन्हें जबलपुर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रेफर किया जा रहा है. वहीं जो मरीज स्टेबल हैं और कुछ दिनों बाद भी ऑपरेशन के लिए इंतजार कर लेगें, उन्हें कुछ दिनों के बाद आने की सलाह दी जा रही है. सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हर दिन सीवीटीएस और कार्डियोलॉजी की ओपीडी 100 के पार पहुंच जाती है. इसमें सीरियस मरीज 5 से 10 आते हैं. इन्हें फिलहाल सहूलियत के तौर पर जबलपुर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल जाने की सलाह दी जा रही है.
3 करोड़ की आती है एक कैथलैब मशीन
सुपर स्पेशलिटी में कैथलैब मशीन हार्ट का ऑपरेशन करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है. यह करीब 3 करोड़ रुपए की आती है. सुपर स्पेशलिटी में शुरुआत में ही यह मशीन पहुंच गई थी. इसी मशीन के जरिए ही सारे ऑपरेशन किए जाते हैं. अमूमन यह मशीन मेंटीनेंस के साथ 5 से 10 सालों तक स्मूथली चलती है. रीवा में इस मशीन का भरपूर उपयोग हुआ है. इसी मशीन की वजह से प्रदेश में भी नाम मिला है. अब एक और मशीन लाने की तैयारी शुरू हो गई है, जिससे मरीजों का इलाज मशीन की वजह से न रुकने पाए.