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MP News: हनीट्रैप केस में SIT की जांच में सबूतों की कमी, चार्जशीट में अफसर तय नहीं कर पाए कौन है ‘श्वेता’, आरोपी बरी

Shweta Vijay Jain and Shweta Shwapnil Jain were accused in the honeytrap case.

हनीट्रैप केस में श्वेता विजय जैन, और श्वेता श्वप्निल जैन आरोपी बनी थी. (फाइल फोटो

MP News: मध्य प्रदेश में हुए चर्चित हनीट्रैप कांड में अब एसआईटी की जांच ही सवालों के घेरे में है. दरअसल इस मामले 3 साल बीत जाने के बाद भी जांच टीम सबूत नहीं जुटा पाई है जांच टीम ने चार्जशीट में दर्ज श्वेता के बयानों को आधार बनाकर कई बार कोर्ट में दलील दी कि श्वेता ने कई रसूखदारों के नाम बताए हैं. पर चार्जशीट में यह नहीं बताया कि आखिर किस श्वेता के बयानों के आधार पर दलील दी जा रही है.

दरअसल इस केस में कुल 8 आरोपी बनाए गए थे जिसमें श्वेता विजय जैन और श्वेता स्वापनिल जैन भी आरोपी है. जब श्वेता के नाम पर कोर्ट में दलील दी गई तो उन्होनें कहा कि किस श्वेता ने ये बयान दिए हैं, इसे स्पष्ट किया जाए. पर एसआईटी कोर्ट के सामने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाई जिसके बाद कोर्ट ने श्वेता स्वापनिल जैन को बरी कर दिया. इससे पहले कोर्ट श्वेता विजय जैन को जमानत भी दे चुकी है.

हनीट्रैप के अलावा मानव तस्करी का भी मामला दर्ज कराया गया जिसमें कई नामी और रसूखदार लोगों को आरोपी बनाया गया है. इसे लेकर कोर्ट में सबूत के तौर पर वीडियो जांच के लिए जमा कराए गए हैं. इसके अलावा 16 आरोपियों के भी बयान दर्ज कराए गए हैं. लेकिन जिस फरियादी के बयान पर टीम जांच कर रही थी वो कोर्ट के सामने पलट गया और उसने अपने बयान बदल दिए, जिसके बाद उसने आरोपियों को पहचानने से भी इनकार कर दिया.

किन अफसरों को मिली जांच की जिम्मेदारी

साल 2019 को पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था जिसके बाद सरकार ने पूरे मामले में एसआईटी का तुरंत गठन कर दिया था. सबसे पहले श्रीनिवास वर्मा को एसआईटी का चीफ बनाया गया. लेकिन उन्हे नियुक्ति के 12 घंटे के अंदर ही हटा दिया गया. जिसके बाद संजीव शमी को जांच सौंपी गई पर वो भी 7 दिन ही चीफ रहे और उन्हे भी हटा दिया गया. इसके बाद स्पेशल डीजी राजेंद्र कुमार को 1 अक्टूबर 2019 में कमान दी गई. अगस्त 2020 तक चीफ के तौर कई रसूखदारों के बयान भी दर्ज किए.  21 अगस्त 2020 से विपिन महेश्वरी ने नवंबर 2023 तक करीब तीन सालों के बीच कागजी कार्रवाई केस में करते रहे. महेश्वरी के रिटायरमेंट के बाद आदर्श कटियार को सरकार ने जांच का जिम्मा सौंप दिया गया. जिस दिन कोर्ट में सुनवाई होनी और उन्हें बतौर चीफ पेश होना था. कटियार ट्रेनिंग पर हैदराबाद चले गए.

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कौन-कौन आरोपी, कितने कनेक्शन

आरती दयाल, मोनिका यादव, श्वेता विजय जैन, श्वेता स्वापनिल जैन, बरखा सोनी भटनायर और ड्रायवर ओमप्रकाश कोरी को सबसे पहले आरोपी बनाया गया. इनके खिलाफ नगर निगम के चीफ इंजीनियर हरभजन सिंह ने इंदौर में ब्लैकमेलिंग की शिकायत दर्ज कराई थी. वीडियो के जरिए लाखों रुपए वसूलने पर एफआईआर दर्ज की गई. जांच में यह पाया गया कि हरभजन ही नहीं बल्कि कई और रसूखदार, नेता, प्रशासनिक अफसरों की भी सीडियां हैं. कई नेताओं के आडियो और वीडियो भी वायरल हुए. इसके बाद उनके ही बयान लिए गए. वहीं एक आईएएस ने वसूली के मामले में शिकायत दर्ज भी कराई. साथ ही कई कारोबारियों ने भी हनीट्रैप गैंग ने शिकार बनाया.

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