MP News: मध्य प्रदेश के लगभग एक करोड़ से अधिक लोगों को साक्षर बनाने की मुहिम में तीस हजार निजी स्कूलों को एक गांव या मोहल्ला गोद लेना होगा. आरटीई फीस के पांच सौ करोड़ लेने वाले निजी स्कूलों को राज्य शिक्षा केंद्र ने नई जिम्मेदारी दी है. इस संबंध में संचालक राज्य शिक्षा केंद्र हरजिंदर सिंह ने सभी जिला कलेक्टरों को पत्र लिखा है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के प्रावधानों के अनुसार 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के असाक्षर व्यक्तियों को साक्षर करने के लिए वर्ष 2022-2027 तक उल्लास नव भारत साक्षरता कार्यक्रम संचालित है.
प्रदेश में 52 जिलों में कार्यक्रम का संचालन राज्य शिक्षा केंद्र अंतर्गत राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण द्वारा किया जा रहा है. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश की कुल साक्षरता दर 69.32 प्रतिशत है. इसमें पुरूष साक्षरता दर 78.7 फीसदी एवं महिला साक्षरता दर 59.2 फीसदी है. वर्तमान में लगभग प्रदेश में एक करोड़ लोग असाक्षर है. इन्हें साक्षर बनाने की मुहिम में राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक हरजिंदर सिंह ने सभी जिला कलेक्टरों को पत्र लिखा है. इसमें कार्यक्रम को पूर्णरूप से स्वयंसेवा पर आधारित बताया है. इसके अंतर्गत असाक्षर व्यक्ति के सर्वे, चिन्हांकन, पठन-पाठन, मूल्यांकन एवं व्यापक प्रचार- प्रसार हेतु छात्र छात्राओं एवं स्वयंसवेकों द्वारा सहयोग लिया जा रहा है. इन समस्त स्वयंसेवकों को ‘अक्षर साथी’ नाम दिया गया है .
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निजी स्कूलों को भी किया गया शामिल
प्रदेश के एक करोड़ से अधिक लोगों को साक्षर करने के लिए अशासकीय विद्यालयों का सहयोग भी लिया जाना होगा. प्रत्येक अशासकीय शाला कोई एक ग्राम, वार्ड या मोहल्ले को संपूर्ण साक्षर करने के गोद लेगा और उस स्थान को पूर्ण साक्षर करने हेतु कार्ययोजना बनाकर कार्य करेंगे. संचालक ने पत्र में कलेक्टरों से कहा है कि सभी अशासकीय विद्यालयों, शासकीय एवं अशासकीय संस्थाओं, सामाजिक एवं धार्मिक संस्थानों एवं अन्य विभागों का सहयोग लेकर उल्लास नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के क्रियान्वयन में सहयोग लेने के लिए संबंधितों को निर्देशित किए जाए.