Indore News: इंदौर में ऐतिहासिक दृष्टि से इंदौर का मध्य भारत में खासा महत्व है. यहां कई ऐतिहासिक इमारतें मौजूद है. उनमें शहर की बीचोबीच 1904 में बनाया गए टाऊन हॉल जिसे वर्तमान में गांधी हॉल का नाम से जाना जाता है का खासा महत्व है. 120 साल पुरानी इस इमारत के जीर्णोद्वार के नाम पर साढ़े 9 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी इसका कोई फायदा नहीं मिला तो अब इसे निजी हाथो में देने की तैयारी की जा रही है. कांग्रेस इसे भ्रष्टाचार बता रही है तो शहर के रंगकर्मी जीर्णोद्वार के नाम पर किए गए खर्च पर सवाल उठा रहे है.
यह है पूरा मामला
1904 में ब्रिटिश हुकूमत ने किंग एडवर्ड के नाम से टाऊन हॉल का निर्माण करवाया था. उस जमाने में समय देखने के लिए इसमें एक घंटाघर भी लगाया गया था. देश आजाद होने के बाद 1949 में इसका नाम महात्मा गांधी हॉल कर दिया गया था. समय के साथ बदहाल हुए गांधी हॉल का 2018 में स्मार्ट सिटी ने जीर्णोद्वार की योजना बनाई और साढ़े 9 करोड़ रुपए खर्च कर इसका रंगरोगन कर लाइटिंग कर दी गई. जीर्णोद्वार के साथ शहर को स्वप्न दिखाया गया था कि इसको किराए पर देकर रेवेन्यू लिया जाएगा. लेकिन जीर्णोद्वार में स्मार्ट सिटी के अधिकारी इस बात पर ध्यान नहीं दे सके कि गांधी हॉल परिसर में बने हॉल में इको होता है, जिसके चलते आवाज गूंजती है और मंच से बोलने वाले व्यक्ति की आवाज लोगों को समझ ही नहीं आती. निगमायुक्त शिवम वर्मा ने बताया कि मेंटीनेंस के लिए गांधी हॉल को किराए पर निजी हाथो में देने की योजना बनाई जा रही है. एमआईसी बैठक में इसका प्रस्ताव रखा जाएगा.
रंगकर्मियों ने किया विरोध
इंदौर थीएटर के अध्यक्ष सुशील गोयल ने आरोप लगाया कि बिना योजना के दिखने के लिए जीर्णोद्वार कर दिया गया, जिसका फायदा होने की जगह नुकसान हो गया. अब निजी हाथो में देकर इसे शहर के लोगो की पहुंच से दूर करने का षडयंत्र रचा जा रहा है.
कांग्रेस ने जताई भ्रष्टाचार बढ़ने की आशंका
वही कांग्रेस ने आरोप लगाया कि शादी या कोई फंक्शन करने के लिए कोई गार्डन बुक करने पर भी प्रतिदिन 2 से 5 लाख रुपए का खर्च आता है. ऐसे में गांधी हॉल को निजी हाथ में देने पर भ्रष्टाचार बढ़ेगाय ऐसे में कांग्रेस में प्रदेश महासचिव राकेश सिंह यादव ने पर्यटन मंत्री को पत्र लिखकर बताया है कि नगर निगम गांधी हॉल को सुरक्षित रखने में सक्षम नहीं है. इसे आईटीडीसी के तहत पर्यटन विभाग अधिग्रहण कर ले नहीं तो ये ऐतिहासिक हॉल भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएगा.
पहले भी रखा था प्रस्ताव
इसके पहले भी गांधी हॉल को 50 लाख रुपए साल पर निजी हाथो में किराए पर देने की योजना बनाई गई थी, लेकिन शहरवासियों के विरोध के बाद स्मार्ट सिटी ने इससे हाथ पीछे खींच लिए थे. अब नगर निगम की महापौर परिषद में प्रस्ताव पास करवाकर इसे निजी हाथो में दिए जाने की योजना बनाई.