Vistaar NEWS

MP News: इंदौर नगर निगम में बिना काम कर डाला करोड़ों का फर्जीवाड़ा, सामान्य प्रशासन विभाग ने बनाई जांच कमेटी, 15 दिन के भीतर सौंपनी होगी रिपोर्ट

The General Administration Department has constituted an investigation team to investigate the corruption in Indore Municipal Corporation.

इंदौर नगर निगम में हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने जांच टीम गठित की गई है.

Indore Municipal Corporation Scam: मध्य प्रदेश सरकार ने इंदौर नगर निगम में हुए घोटाले को लेकर जांच कराने का फैसला कर लिया है. नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गी की सिफारिश के आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग ने अफसर की टीम बना दी है. 100 करोड रुपए से अधिक के कथित घोटाले के मामले में वित्त विभाग के सचिव अजीत कुमार, लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता को सदस्य बनाया गया है.

इसके अलावा वाणिज्य कर विभाग के प्रमुख सचिव अमित राठौर की अध्यक्षता में इस पूरे भ्रष्टाचार के मामले में जांच होगी. सामान्य प्रशासन विभाग में अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इंदौर में फर्जी बिल लगाकर करोड़ों रुपए निकालने के मामले में 15 दिनों के अंदर सरकार के सामने जांच कमेटी रिपोर्ट देगी.

खास बात है कि सरकार ने माना है कि पिछले कुछ महीनों के भीतर इंदौर नगर निगम में  करोड़ो रुपए का भ्रष्टाचार हुआ है. हैरत की बात है कि नगर निगम के कई अफसर की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है. उनके खिलाफ भी पुलिस ने मामला दर्ज किया है. इसके अलावा आर्थिक अनियमितता के मामले में ठेकेदारों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है. उनके घरों पर दबिश लेते हुए लाखों रुपए जप्त किए गए हैं. वहीं नगर निगम के अधिकारियों से भी पुलिस पूछताछ कर रही है. फिलहाल पुलिस की कार्रवाई को लेकर कई अधिकारी अंडरग्राउंड भी हो गए हैं. जिन पर पुलिस ने इनाम घोषित कर रखा है.

ये भी पढे़ं: BJP नेता गोविंद मालू के अंतिम संस्कार में पहुंचे CM मोहन यादव, बोले- जिंदादिल व्यक्ति का आकस्मिक निधन अपूरणीय क्षति

इंजीनियर का भ्रष्टाचार का अलग फार्मूला, लाखों के बिल और करोड़ों का भुगतान

इंदौर नगर निगम के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर अभय राठौर पर इनाम राशि बढ़ाकर 25 हजार कर दी गई है. निगम में हुए 28 करोड़ रुपए के फर्जीवाड़े में राठौर की तलाश है. राठौर शासकीय फाइलों में चालाकी से फर्जीवाड़ा करता था. स्वीकृत ठेकों की राशि में हेराफेरी कर लाखों की राशि को करोड़ों कर देता था. इसके बाद इनके चेक बनवा लेता था. पुलिस ने 35 से ज्यादा फाइलों में यह फर्जीवाड़ा पकड़ा है. पुलिस आयुक्त राकेश गुप्ता ने यह इनाम घोषित किया है.

7 सालों में हुआ फर्जीवाड़ा, किसी भी नगर निगम आयुक्त की नहीं पड़ी नजर

साल 2015 से लेकर 2022 तक के 107 करोड़ रुपये के 188 बिल नगर निगम के वित्त विभाग में पेश किए थे. वहीं जो बात सामने आई उसके मुताबिक इनमें से करीब 168 बिलों के 80 करोड़ रुपये का भुगतान 2022 के पहले हो चुके है. खास बात है कि 7 सालों के भीतर इंदौर नगर निगम में कई आयुक्त आए लेकिन किसी की भी नजर नहीं पड़ी. बेखौफ होकर नगर निगम के अधिकारियों ठेकेदार मिलकर पूरे नगर निगम के सिस्टम के भीतर बैठकर भ्रष्टाचार करते रहे. नगर निगम पांचों फर्म नींव कंस्ट्रक्शन (मो. साजिद), ग्रीन कंस्ट्रक्शन (मो. सिद्दीकी), किंग कंस्ट्रक्शन (मो. जाकिर), क्षितिज इंटरप्राइजेस (रेणु वडेरा) और जाह्नवी इंटरप्राइजेस (राहुल वडेरा) के खिलाफ नगर निगम एफआईआर करा चुका है. नगर निगम में अभी केवल 28 करोड रुपये के भुगतान बचे हैं जो केवल 20 बिलों के आसपास है.

Exit mobile version