MP News: अलीराजपुर विंध्य पर्वतमाला के बीच दक्षिण पश्चिम मे स्थित अपने प्राकृतिक सौंदर्य के कारण दर्शनीय है. मालवई में पहाड़ी पर चामुंडा माताजी का मंदिर रियासत कालीन है. यह स्थान विद्याचल की निचली पहाड़ियों के सबसे रमणीय स्थलों में से एक माना जाता है. मां चामुंडा का मंदिर अब पूरे इलाके में मालवई माता के मंदिर के रूप में जाना जाता है. मां चामुंडा का यह अति प्राचीन मंदिर जो आलीराजपुर के इतिहास की धरोहर तो है, ही भक्तों की आस्था का केंद्र बिंदु भी है. सालों पुराने इस मंदिर में मां चामुंडा की प्राचीन मूर्ति है, जहां वर्षों से भक्त पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं. जैसे जैसे समय बीतता गया इस मंदिर के लिए भक्तों की आस्था भी बढ़ती चली गई. अब तो पूरे साल यहां भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है.
नवरात्रि में बढ़ जाती है भक्तों की भीड़
इस मंदिर पर रोज सैकड़ों श्रद्धालु आते हैं, वहीं नवरात्रि में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है. मालवई माता के दरबार में वैसे तो साल भर भक्तों की मनोकामनां पूर्ण होती है, लेकिन कहते हैं कि नवरात्रि में भक्तों को मां चामुंडा का विशेष आशीर्वाद फल मिलता है। कहा तो यह भी जाता है, कि माता के दरबार में अब तक कोई खाली हाथ नहीं लौटा है, लोगों की आस्था का केंद्र बन चुके इस मंदिर में लोग सैकड़ों किलोमीटर दूर से आते हैं.
लोगों की मानें तो मुसीबत में लोग मां से कर्ज के रूप में आर्थिक मदद भी मांगते हैं. व्यापारी वर्ग के लिए इस स्थान का बहुत बड़ा महत्व है, और कहा जाता है, कि मालवई माताजी से कर्ज लेकर शुरू किया गया व्यापार हमेशा फलता फूलता है.
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अलग-अलग मान्यताएं
लोगों का मानना है, कि आर्थिक मुसीबतों में माता के दरबार में अगर कर्ज के लिए अर्जी लगाई जाए तो जल्दी ही पैसों की व्यवस्था हो जाती है, यानी भक्तों को किसी भी रूप में आसानी से कर्ज मिल जाता है. जिसे भी कर्ज की जरूरत पड़ती है, वह माता के मंदिर में आता है, और अर्जी लगा कर चला जाता है. प्राचीन काल से ही यहां चमत्कार है, कि जल्दी ही उसे उचित दरों पर कर्ज मिल जाता है और व्यवस्था हो जाती है. व्यापारियों में भरोसा है, कि माता का सिक्का मिल जाए तो साल भर व्यापार फलता फूलता है. इस मंदिर के गर्भगृह की दीवार पर पोस्ट ऑफिस बॉक्स जैसा चिट्ठी डालने का स्थान बना हुआ था जिसमें कोई भी भक्त अपनी मन की मुराद लिख कर डालता था, तो उसकी मन की मुराद पूरी होती थी.