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International Tiger Day: विश्व में सबसे ज्यादा बाघ भारत में पाए जाते है, MP को मिला है ‘टाइगर स्टेट’ का तमगा, जानिए कुछ खास बातें

MP has got the status of Tiger State.

एमपी को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला है.

MP News: ‘टाइगर स्टेट’ के नाम से प्रसिद्ध मध्यप्रदेश बाघों की आबादी और संरक्षण के लिए जाना जाता है. 2022 की जनगणना के अनुसार, मध्यप्रदेश में 785 बाघ मौजूद हैं, जो देश में सबसे ज्यादा हैं. इनमें से 563 बाघ टाइगर रिजर्व में और 222 बाघ संरक्षित क्षेत्र के बाहर हैं. विश्व टाइगर दिवस के मौके पर प्रदेश में जगह जगह कार्यक्रम किए जा रहे है. प्रदेश के मुखिया सीएम मोहन यादव ने विश्व टाइगर दिवस की शुभकामनाएं दी हैं. सीएम ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि “विश्व बाघ दिवस” की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं. हम सभी जानते हैं कि मध्यप्रदेश ‘टाइगर स्टेट’ अर्थात भारत के अधिकांश बाघों का घर है. मध्यप्रदेश ने अपनी इस उपलब्धि से इको टूरिज्म की ओर तेजी से कदम बढ़ाए हैं. इसलिए हमारी जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है कि बाघों के संरक्षण को बढ़ावा दें, उनके प्राकृतिक आवासों की रक्षा करें तथा पर्यावरण संतुलन की दिशा में सदैव कार्य करते रहें.

जुलाई से सितंबर के महीनों में टाइगर सफारी बंद होने के कारण टाइगर रिजर्व में पर्यटन गतिविधियां कम हो जाती हैं, जिससे स्थानीय समुदाय, होटल संचालक और पर्यटन से जुड़े हितधारक प्रभावित होते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड, वन विभाग और स्थानीय जिला प्रशासन के साथ मिलकर बफर जोन में पर्यटकों के अनुभव को बढ़ाने के लिए जंगल सफारी, नेचर वॉक, ट्री-हाउस स्टे, गांव के दौरे और स्टारगेजिंग जैसी कई गतिविधियों की श्रृंखला शुरू करेगा. सभी पक्षों को एक मंच पर लाने के लिए टाइगर रिजर्व में कार्यशालाएं संचालित की जाएंगी, जिसकी शुरुआत पेंच नेशनल पार्क से की गई है.

पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव तथा मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड के प्रबंध संचालक  शिव शेखर शुक्ला ने कहा कि मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड जिम्मेदार पर्यटन के लिए प्रतिबद्ध है. पर्यावरणीय प्रभाव को न्यूनतम करने और स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. वन विभाग, स्थानीय प्रशासन और पर्यटन हितधारकों के साथ सहयोग बढ़ाते हुए जुलाई से सितंबर के दौरान भी पर्यटन गतिविधियों को बनाए रखना और स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना इसका मुख्य उद्देश्य है.

मध्य प्रदेश के सभी 7 बाघ अभयारण्य

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व उमरिया और कटनी जिलों में फैला हुआ है. 1,536.93 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले इस रिजर्व में 104 बाघों की समृद्ध आबादी है. बांधवगढ़ सबसे छोटे पार्कों में से एक है, लेकिन यह वन्यजीवों से समृद्ध और मनोरम पार्क है, जिसमें भारत में बाघों का घनत्व सबसे अधिक है. यहां हर 14 किलोमीटर पर एक बाघ पाया जाता है.

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान: कान्हा टाइगर रिजर्व मंडला और बालाघाट जिलों में फैला हुआ है और यह देश के प्रमुख बाघ अभयारण्यों में से एक है और राज्य का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है. यहां बाघों की आबादी 61 है. कान्हा के हरे-भरे जंगलों को “द जंगल बुक” की प्रेरणा माना जाता है.

पेंच टाइगर रिजर्व: पेंच राष्ट्रीय उद्यान सिवनी और छिंदवाड़ा जिलों में फैला हुआ है. पेंच राष्ट्रीय उद्यान 1,179.63 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में 61 बाघों की समृद्ध बाघ आबादी के लिए प्रसिद्ध है, जिससे हर 19 किलोमीटर पर बाघों की ट्रैकिंग की संभावना बनती है. पेंच टाइगर रिजर्व रुडयार्ड किपलिंग की प्रतिष्ठित कहानी, “द जंगल बुक” का एक जीवंत अध्याय है.

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वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व: सागर, दमोह और नरसिंहपुर में फैला वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश का सबसे नया टाइगर रिजर्व है. 2,339 वर्ग किलोमीटर में फैले इस टाइगर रिजर्व में 15 बाघ हैं.

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व: सतपुड़ा टाइगर रिजर्व अपनी उत्कृष्ट प्राकृतिक सुंदरता से पर्यटकों को आकर्षित करता है. इसे सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला से प्राप्त “सेवन फोल्ड्स” के नाम से जाना जाता है. यहां लगभग 40 बाघ हैं. सतपुड़ा रिजर्व में 10,000 साल पुरानी प्राचीन शैलचित्र भी हैं, जो इसे एक यादगार अनुभव बनाते हैं. यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की संभावित सूची में शामिल है.

पन्ना टाइगर रिजर्व: पन्ना टाइगर रिजर्व पन्ना और छतरपुर जिलों में 1,598.10 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यहां 25 बाघ हैं. सफारी के दौरान केन नदी के दृश्य यादों में बस जाते हैं.

संजय-दुबरी राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व: सदाबहार साल, बांस और मिश्रित वनों से युक्त संजय-दुबरी टाइगर रिजर्व सीधी और शहडोल जिलों में 1,674.5 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जो वन्यजीवों के लिए स्वर्ग है. यहां लगभग 5 बाघ, पक्षियों की 152 प्रजातियां, स्तनधारियों की 32 प्रजातियाँ, रेपटाइल्स की 11 प्रजातियाँ और मीठे पानी की मछलियों की 34 प्रजातियां पाई जाती हैं.

सुरक्षा उपाय

भोपाल के केरवा और कालियासोत के जंगलों में जगह-जगह पर साइन बोर्ड लगाए गए हैं जिनमें लिखा गया है कि बाघ विचरण क्षेत्र. बाघों से कैसे सावधान रहें इसे लेकर भी साइन बोर्ड में लिखा गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ एकांत में रहना पसंद करते हैं और बहुत कम होता है कि जब सड़क पर चलते समय बाघ लोगों के बीच आ जाएं. यही कारण है कि अक्सर बाघों का मूवमेंट रात में ही देखा जाता है.

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