MP News: ये है इंदौर का 300 साल पुराना श्री यशोदा माता मंदिर जो कि इंदौर के राजबाड़ा के पास खजूरी बाजार में ये मंदिर स्थापित है. वैसे तो आपने कृष्ण मंदिर तो कई देखे होंगे. मगर ये मंदिर ऐसा है जहां माता यशोदा की गोद में भगवान कृष्ण विराजमान हैं. संतान प्राप्ति के लिए यहां यशोदा माता की गोद भराई के लिए विदेशों से भी महिलाएं आ चुकी हैं.
शास्त्री हंसराज साध्वी बाइट
मंदिर में हर साल जन्माष्टमी के अवसर पर महिलायें गॉड भराई के लिए आती है. कृष्ण जन्माष्टमी और उसके दूसरे दिन भी यहां गोद भराई के लिए बड़ी संख्या में महिलाएं आती हैं. वहीं जिनकी शादी नहीं होती है वे भी यहां आकर भगवान कृष्ण को जायफल की माला पहनाते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से उनकी शादी हो जाती है.
इस मंदिर में यशोदा माता की प्रतिमा है, जिसमें माता अपनी गोद में श्रीकृष्ण को लेकर विराजमान है. उनके साथ ही नंद बाबा और दाई मां की भी प्रतिमा विराजित है. दूसरी तरफ श्रीकृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी चींटी उंगली में लेकर खड़े हैं.
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उनके आसपास राधा और रुक्मिणी विराजमान हैं. कुछ ही दूरी पर दो ग्वाल बाल और उनके साथ गाय हैं जो अपने बछड़े को दूध पिला रही हैं. इनके पास में ही लक्ष्मी नारायण भी विराजमान हैं. मंदिर के वर्तमान पंडित का दावा है कि यह भारत का एकमात्र यशोदा माता का मंदिर है.
जयपुर से 45 दिनों में बैलगाड़ी पर आई थी प्रतिमाएं
इस मंदिर में माता यशोदा, भगवान कृष्ण सहित सभी प्रतिमाएं उस वक्त जयपुर से इंदौर लाई गई थी. 45 दिनों का सफर तय कर ये प्रतिमाएं इंदौर पहुंची. जहां इन प्रतिमाओं को विधि-विधान के साथ मंदिर में स्थापित किया गया. इन प्रतिमाओं की बात करें तो यशोदा माता की प्रतिमा साढ़े तीन फीट है, उनके साथ नंद बाबा की प्रतिमा है, जो यशोदा माता से छोटी है. साथ ही दाई मां की प्रतिमा है. भगवान श्रीकृष्ण की ब्लैक मार्बल की 3 फीट की प्रतिमा है. साथ ही राधा-रुक्मिणी की सफेद मार्बल की ढ़ाई फीट की प्रतिमा है.