भोपाल: मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस बीजेपी के अलावा बहुजन समाजवादी भी काफी सक्रिय रही है लेकिन मुकाबला सिर्फ कांग्रेस बीजेपी के बीच में ही रहा है. चुनाव आयोग ने 34 सालों में हुए आठ लोकसभा चुनाव में वोट परसेंटेज का आकलन किया है. खास बात है कि 19 सालों में सबसे ज्यादा भाजपा का वोट परसेंटेज बढ़ा है, जबकि सिर्फ साल 1991 में 4 फीसदी कांग्रेस के वोट परसेंटेज में बढ़ोतरी हुई थी.
इसके बाद से लगातार भाजपा का वोट परसेंटेज बढ़ता रहा और कांग्रेस लगातार जन आधार के मामले में पीछे होती गई. आयोग के मुताबिक लोकसभा चुनाव में सांसद भी जीतकर संसद में पहुंचे हैं. 34 साल में सिर्फ चार ही बसपा के सांसद चुनकर लोकसभा पहुंचे हैं. वहीं 20 सालों में 75 कांग्रेस के सांसद जीते हैं भाजपा का आंकड़ा काफी ज्यादा है. इसी दरमियान भाजपा के 194 सांसद चुने गए हैं. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ अलग होने के बाद भी सबसे ज्यादा भाजपा के ही सांसद चुनकर लोकसभा पहुंचे हैं. इधर, चुनाव आयोग के अनुसार साल दो साल 1991 में 44.35 लोगों ने मतदान किया था. इसके बाद साल 1996 में 54.06, साल 1998 में 61.72, साल 1999 में 54.85, साल 2004 में 48.09, साल 2009 में 51.16 2014 में 61.06 और 2019 में 71.219 प्रतिशत वोटर्स ने वोट किया था. एनालिसिस के मुताबिक साल 2004 में सबसे कम वोट परसेंटेज रहा था इसके बाद लगातार तीन लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने वोट प्रतिशत बढ़ाने में सफलता पाई है.
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पार्टियों का वोट प्रतिशत
साल भाजपा कांग्रेस
1991 41.88 45.34
1996 41.32 31.02
1998 45.73 39.40
1999 46.58 43.91
2004 48.13 34.06
2009 43.45 40.14
2014 54.02 34.89
2019 58.00 34.50
महिलाओं के प्रतिनिधित्व में 1996 में सबसे ज्यादा प्रत्याशी
साल 2023 में लोकसभा में केंद्र सरकार ने प्रस्ताव को पारित किया था. जिसमें कहा गया था कि महिलाओं की सबसे ज्यादा भागीदारी चुनाव में होनी चाहिए. 33 फीसदी महिलाओं की आरक्षण की बात केंद्र सरकार ने कही थी. मध्य प्रदेश में 20 सालों में सबसे ज्यादा 1996 में 75 महिलाओं ने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए नामांकन दाखिल किया था. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद 2004 में 30, 2009 में 29, 2014 में 37, 2019 में 40 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था. पुरुषों की तुलना में 9 से 10 फीसदी ही महिलाओं ने लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारी की थी.