Lok Sabha Chunav: प्रदेश में तीन चरण के चुनाव हो चुके है. सभी राजनीतिक पार्टियों ने प्रचार अपनी पूरी ताकत झोंक दी. कांग्रेस और बीजेपी के स्टार प्रचारकों ने प्रत्याशियों की लोकसभा सीट में जमकर प्रचार किया. लेकिन स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल होने के बाद भी वह इस पूरे लोकसभा चुनाव में एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ कहीं नजर नहीं आये. वह प्रचार से पूरी तरह गायब दिखे. यहां तक की राहुल गांधी और सोनिया गांधी की रैली में भी कमलनाथ नहीं दिखाई दिए.
सब नेताओं की अपने-अपने क्षेत्र की भूमिका: मुकेश नायक ( मीडिया प्रभारी, मप्र कांग्रेस)
वहीं, इस पूरे मामले पर कांग्रेस के मीडिया प्रभारी मुकेश नायक ने कहा कि कमलनाथ पूरी तरह से सक्रिय हैं. छिंदवाड़ा का चुनाव वह जीत रहे हैं और जितनी शक्ति और क्षमताओं के साथ उन्होंने दबाव के बीच में छिंदवाड़ा का चुनाव लड़ा है. उसके बाद भी वह जीत रहे हैं. यह बहुत बड़ी बात है चुनाव के बाद उन्होंने कुछ सीटों पर प्रचार प्रसार भी किया है. कौन कह रहा है कि वह प्रचार नहीं कर रहे हैं. इसके साथ ही प्रियंका और राहुल गांधी की रैलियों में कमलनाथ के नजर नहीं आने को लेकर मुकेश नायक ने कहा कि सब नेताओं की अपने-अपने क्षेत्र की भूमिका है. सभी नेता अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं.
शायद कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व से नाराज हैं कमलनाथ: पंकज चतुर्वेदी (भाजपा प्रवक्ता )
कमलनाथ के रैलियों में नजर नहीं आने को लेकर भाजपा प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि, कमलनाथ जी 19 अप्रैल को ही राजनीतिक रूप से पुत्र मोह के दायित्व से मुक्त हो गए थे. नकुलनाथ का चुनाव पहले चरण में ही हो गया था. अब 13 मई को चौथे चरण का चुनाव है. उसके समापन का भी वक्त आ गया लेकिन कमलनाथ जी अभी तक लापता है. चतुर्वेदी ने आगे कहा कि लगभग 1 महीने से अधिक समय से कमलनाथ जी राजनीतिक रूप से फुर्सत है. उनके पास कोई काम नहीं है वह दिग्विजय सिंह तक के प्रचार में नहीं आए. शायद वह कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व से नाराज हैं और नेताओं से भी नाराज है क्योंकि सिर्फ जीतू पटवारी और भंवर जितेंद्र सिंह को छोड़कर कोई भी कमलनाथ और नकुलनाथ के प्रचार में नहीं गया. शायद यह कांग्रेस की आपसी गुटबाजी और खींचतान का नतीजा है कि कमलनाथ फ्री होने के बाद भी कांग्रेस के लिए नहीं है जबकि उनका नाम स्टार प्रचारक में है. कमलनाथ समझदार नेता है वह जानते हैं कि कितनी भी उठा पटक कर लो नतीजा में कांग्रेस को हारना ही है. देश नरेंद्र मोदी जी के गारंटी के साथ भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में है.
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अस्तित्व संकट में आने से चेहरे का तेज कम हो जाता है: पंकज मुकाती (वरिष्ठ पत्रकार)
कमलनाथ के मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार पंकज मुकाती का मानना है कि जब कोई नेता अपना अस्तित्व संकट में देखता है. दूसरी बात जब उसके चेहरे का तेज राजनीतिक रूप से कम हो जाता है तो वह थोड़ा इधर-उधर यानि कि सार्वजनिक जगह में जाने से बचता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कमलनाथ के साथ दो चीज हुई एक तो उनसे बिना इस्तीफा लिए जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया. उसके बाद उनको लगातार झटके पर झटका लगता हुआ नजर आया. उनके कई करीबियों ने उनका साथ छोड़ भाजपा में शामिल हो गए. ऐसे में कमलनाथ किसी भी पब्लिक प्लेस या किसी प्रचार में जाने से बचते हैं, क्योंकि उनके खुद के संगठन के लोग और साथी पार्टी छोड़ चुके हैं और जितने भी लोग कांग्रेस छोड़ भाजपा में गए उसमें 80 फ़ीसदी कमलनाथ के समर्थक हैं तो कमलनाथ किस मुंह से जनता से वोट मांगेंगे. वह खुद संदेह के घेरे में है कि कांग्रेस के लिए वोट कैसे मांगे.
दरअसल जब से जीतू पटवारी मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष बने हैं तब से ही लगातार कमलनाथ की सक्रियता मध्य प्रदेश की राजनीति में कम हो गई है. कांग्रेस की बड़ी-बड़ी मीटिंग्स हो या कोई बड़ी रैली कमलनाथ कहीं पर भी नजर नहीं आए. यहां तक की राहुल और प्रियंका गांधी के रैली में भी कमलनाथ नजर नहीं आए. लोकसभा चुनाव में स्टार प्रचारक होने के बावजूद भी कमलनाथ की सक्रियता कम होने का खमियाजा कांग्रेस पार्टी को कितना भुगतना पड़ेगा यह तो आने वाले चुनावी नतीजे ही बताएंगे.