MP News: मध्य प्रदेश में फिर से बंद पुरानी भ्रष्टाचार की फाइलों को खोलने की तैयारी शुरू हो गई है. लोकायुक्त के DG बने जयदीप प्रसाद ने 136 केसों की फाइलों को बुलाया है. माना जा रहा है कि सालों से लंबित केसों की फिर से जांच शुरू हो जाएगी. इसके साथ ही सरकार से अभियोजन की स्वीकृति के लिए भी गोपनीय पत्र लिखा गया है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री मोहन यादव ने लोकायुक्त और DGP के साथ बैठक की थी. उन्होंने पुराने केसों को निपटाने के लिए निर्देश भी दिए थे.
आदेश जारी
अब लोकायुक्त DG प्रसाद ने प्रदेश के सभी SP को आदेश जारी किया है. इस आदेश में उन्होंने कहा है कि आरोपियों के खिलाफ केस चलाने के लिए विभागों से अनुमति ली जाए, जिससे कोर्ट में आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य पेश किया जा सके.
फिर से खुलेगी फाइल
लोकायुक्त के अधिकारियों ने बताया कि साल 2017-2018 से लेकर 2023-24 के दौरान दर्ज केस की फाइलें फिर से खुलेंगी. इस दौरान सरकार की अभियोजना की स्वीकृति देने में देरी की गई थी. इसके साथ ही कुछ नियमों में भी फेरबदल किया था, जिसके बाद लोकायुक्त में पेडेंसी बढ़ गई है. अब फिर से जांच की रफ्तार तेज हो जाएगी.
स्पेशल कोर्ट में फंसी 1059 फाइलें
मध्य प्रदेश में IPS, IAS और IFS के साथ सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ लोकायुक्त में जांच चल रही है. इसके साथ ही केस स्पेशल कोर्ट में भी चल रहा है. लोकायुक्त के मुताबिक 1059 केस साल 2019 से कोर्ट में चल रहे हैं. कुछ मामलों में फरियादी के बयान बदलने से आरोपियों को दोषमुक्त भी किया गया है. सबसे ज्यादा भोपाल और इंदौर स्पेशल कोर्ट में केस लंबित पड़े हुए हैं.
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चालान में देरी और आरोपी को राहत
सरकार की ओर से अभियोजन की स्वीकृति में देरी से आरोपियों को भी फायदा पहुंचा है. कई केस में सबूत में कमी और समय पर साक्ष्य पेश नहीं करने पर आरोपियों को राहत भी मिली है. इसे देखते हुए सीएम मोहन यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि कैबिनेट के साथ सीएम सचिवालय को भी स्वीकृति के लिए पत्र लिखा जाए, जिससे लोकायुक्त में चल रहे केस का निराकरण कोर्ट में हो सके.
विधानसभा में जम कर उठा मु्द्दा
लोकायुक्त की जांच में देरी और स्वीकृति में राहत का मुद्दा अक्सर विधानसभा में विपक्ष उठाता रहा है. कई बार तो सरकार पर अफसरों को बचाने का आरोप भी लगा है. विपक्ष का कहना है कि सरकार भ्रष्ट अफसरों को बचाने के पक्ष में हैं. कई मामलों में राज्य सरकार ने तत्काल एक्शन भी लिया है.
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इसे लेकर जानकारों का कहना है कि पूर्व IAS दंपत्ति जोशी के केस को छोड़ दिया जाए तो किसी भी A-1 क्लास अफसर को जेल नहीं हुई है. जांच एजेंसियों में केस चलता रहता है और अफसर रिटायर भी हो जाते हैं. उनकी मृत्यु के बाद ही लोकायुक्त भ्रष्टाचार की फाइल बंद करता है.