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MP News: रीवा बोरवेल हादसे के बाद हरकत में प्रशासन, अब 15 दिन पहले देनी होगी Borewell की जानकारी

Rewa Collector, District Panchayat CEO held a meeting in Rewa Collectorate.

रीवा कलेक्ट्रेट में रीवा कलेक्टर जिला पंचायत सीईओ सहित तमाम प्रशासनिक अधिकारियों ने एक बैठक की.

Rewa: रीवा के त्यौंथर में बोरवेल में मयंक के गिरने के बाद प्रशासन एक बार फिर सतर्क हुआ है. इसको लेकर रीवा कलेक्ट्रेट में रीवा कलेक्टर जिला पंचायत सीईओ सहित तमाम प्रशासनिक अधिकारियों ने एक बैठक की है जिसमें कोई भी बोरवेल होने के 15 दिन पहले अब जानकारी देनी होगी. 17 अप्रैल 2019 को लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के द्वारा एक आदेश जारी किया गया था. जिसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार अनुपयोगी नलकूप और बोरवेल में कोई घटना ना हो इसके लिए इनको बंद करने के निर्देश दिए गए थे.

एक नया पोर्टल खोलने की तैयारी

प्रदेश के एक-एक बोरवेल की जानकारी रखने के लिए शासन द्वारा पोर्टल तैयार किया गया है, जो इस सप्ताह शुरू होगा. पोर्टल में विभिन्न विभागों, संस्थाओं, निजी व्यक्त्तियों द्वारा शासकीय, अशासकीय उपयोग के लिए खुदवाए गए नलकूपों, खनन एजेंसी, मशीन तथा नलकूप खनन कराने वाले विभाग, संस्थाओं, व्यक्तियों की जानकारी दर्ज होगी.

रीवा बोरवेल हादसे में भूमि स्वामी गिरफ्तार

सीएम की सख्ती के बाद कलेक्टरों ने खुले में मौजूद बोरवेल की जांच शुरू करा दी है. रीवा में बोरवेल हादसे में भू स्वामी हीरामणि मिश्रा के खिलाफ अपराध दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है. बताया जा रहा है कि मिश्रा भाजपा मंडल का पदाधिकारी है. उसके पास पांच बोरवेल हैं. जिन बोरवेल में हादसा हुआ, वह 3 वर्ष पहले विधायक निधि से खुदा था.

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प्रशासन एक बार फिर हुआ सख्त

वहीं इस पूरे मामले पर अपर कलेक्टर जिला पंचायत के सीईओ सौरभ सोनवाड़े का कहना है ”बोरवेल को लेकर 2 महीने पहले से कार्यवाही चल रही थी, जिसको लेकर जनपद पंचायत के अधिकारियों की बैठक हुई और कई बोरवेल को बंद भी करवाया गया था, इस मामले में भूमि स्वामी ने कहा था. कि बोरवेल बंद है. एक बार फिर हम ऐसे बोरवेल को चिन्हित करने वाले हैं जो जर्जर हो चुके हैं और उनको बंद करने की आवश्यकता है आगे इस तरह की घटना ना हो इसको लेकर एक त्रिस्तरीय समिति का गठन करेंगे जिसमें पंचायत स्तर पर ब्लॉक स्तर पर और जिला स्तर पर भी अधिकारी बोरवेल की निगरानी रखेंगे. दूसरा हम टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए सेंट्रल ग्राउंडवाटर कमिशन से और भी माध्यमों से मैप के जरिए जानेंगे जिसमें गूगल में मैप करने के बाद जानकारी प्राप्त हो पाएगी, जिसकी मॉनिटरिंग भी डिजिटल होगी और हम यह पता लगा पाएंगे कौन से बोरवेल खुले हुए हैं.”

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