MP News: भोपाल में विधानसभा सदन में कार्रवाई के दूसरे दिन नर्सिंग का मुद्दा कांग्रेस ने जमकर उठाया. सरकार को घिरता देखकर तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री और मौजूदा सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने पहली बार जवाब दिया. सारंग ने कहा कि कमलनाथ के 15 महीने में सरकार के दौरान 300 से अधिक कॉलेज को मान्यता दी गई थी. जिस दिन 20 मार्च को कमलनाथ इस्तीफा दिया था. उसी दिन मान्यता दी गई 2018 में एन एम श्रीवास्तव कॉलेज को परमिशन दी गई. जयवर्धन सिंह ने सारंग पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्हें मान्यता और संबद्धता में अंतर मालूम नहीं है. गुस्से में विश्वास सारंग ने कहा की मलय नर्सिंग कॉलेज को कांग्रेस के समय अनुमति मिली थी. सारंग ने आगे कहा कि सुनीता सीजू को कांग्रेस के समय में रजिस्ट्रार बनाया गया था. विश्वास ने कहा कि मेरा नाम सुबह से लिया जा रहा है. यह एक महीने से चल रहा है. मैंने कोई बयान नहीं दिया. यह राजनीति नहीं व्यक्तिगत हो रहा है. मैं दोषी नहीं हूं. नर्सिंग काउंसिल ऑटोमेशन संस्था है. मंत्री के पास कोई फाइल आती नहीं है.
उमंग ने कहा – नर्स को आयुक्त तक बनाया गया
ध्यानाकर्षण के दौरान बहस में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने कहा कि नर्स को आयुक्त तक बनाया गया है. तत्कालीन मंत्री का इस्तीफा होना चाहिए. जिन कर्मचारियों ने घोटाले कारण उनका उपकृत किया गया. नेता प्रतिपक्ष ने आगे रहते हुए विश्वास सारंग को नर्सिंग घोटाले के मामले में सरगना तक बताया. भाजपा नेताओं के आरोपों पर कहा कि भाजपा मंत्री हम लोगों पर आरोप लगा रहे हैं कि सबूत दें. भाजपा नेता नर्सिंग मामले में तत्कालीन कमलनाथ सरकार का हाथ होने का आरोप लगा रहे हैं. सदन में सिंगार ने कहा कि अगर मेरे आरोप गलत है तो सीएलपी से इस्तीफा दे दूंगा.
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चार अधिकारी और मंत्री नर्सिंग काउंसलर चला रहे थे
सदन में उमंग सिंगार ने कहा कि हजारों छात्रों को पता नहीं था. जिस कॉलेज में एडमिशन लिया वह फर्जी है. नर्सिंग घोटाले के लिए नियम बदले गए साल 2021 में सबसे ज्यादा नर्सिंग कॉलेज खोले गए. चार अधिकारियों मंत्री नर्सिंग काउंसलर बनाकर चला रहे थे. काउंसिल चलाने का अधिकार नहीं है. काउंसिल का कंट्रोल अवैध तरीके से लिया गया. आरोप लगाया कि काउंसिल की धारा 31 का दुरुपयोग किया गया है. जब नर्सिंग काउंसिल में घोटाला नहीं हुआ था तो धारा 31 के तहत काउंसिल को टेकओवर क्यों किया गया. कोर्ट ने कोई रोक नहीं लगाई कि मंत्री या विभाग की जांच हो सकती है. यह घोटाला बिना मंत्री के संभव नहीं है.