MP News: मध्य प्रदेश में एक जिले की कलेक्टर ने राज्य के सभी जिलों के कलेक्टरों की सांस थाम कर रख दी है. जबलपुर कलेक्टर कि फैसले से वल्लभ भवन में चर्चा है कि अगर राज्य सरकार ने सभी जिलों में निजी स्कूल संचालकों पर सख्त करने का फैसला कर लिया तो बाकी कलेक्टर फजीहत बढ़ जाएगी. हालांकि अगर सरकार आदेश देती है तो इससे परिजनों को बड़ी राहत मिलेगी लाखों रुपए हर साल पर परिजन अपने बच्चों को पढ़ाई खर्च करते हैं और स्कूल संचालक इसका फायदा उठाते हुए एक बाकायदा सिंडिकेट बनाते हैं. जिसमें स्कूल की फीस से लेकर ड्रेस और स्कूल की कॉपी किताब तक तय की जाती है.
जिसके एवज में सालाना पढ़ाई लाखों रुपए के पार हो जाती है. ऐसी ही समस्या से निजात दिलाने के लिए राज्य में पहले भी कार्रवाई हुई लेकिन एक बड़ी मिसाल जबलपुर कलेक्टर ने पेश की जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने पद की गरिमा को ध्यान में रखते हुए निजी संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की. स्कूल के प्राचार्य से लेकर संचालकों तक एफआईआर दर्ज हुई. वल्लभ भवन में इस कार्रवाई की तरफ प्रशंसा हो रही है.
मध्य प्रदेश में गुड गवर्नेंस की सरकार में ऐसे ही माइलस्टोन का इंतजार खुद मुख्यमंत्री मोहन यादव कर रहे थे. अंदर खाने की खबर है कि जबलपुर कलेक्टर की फैसले से मुख्यमंत्री काफी खुश है. क्योंकि राज्य में पढ़ाई में सबसे ज्यादा फोकस सरकार कर रही है. ऐसे में अगर शिक्षा के नाम पर धंधा चलाया जाता है तो सरकार की एक तरफ छवि भी खराब होती है. दूसरी तरफ निजी स्कूल संचालकों के हौसले भी बुलंद होते हैं. जिसका जबलपुर कलेक्टर ने जवाब भी दिया है. पिछले दिनों जबलपुर कलेक्टर ने निजी स्कूल संचालकों के खिलाफ मामला दर्ज कराकर मिसाल पेश की है. वही स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की परिजनों को भी राहत दी है. करोड़ों रुपए की राशि उन्हें फीस के नाम पर वसूली स्कूल संचालकों की तरफ से लौटी जा चुकी है. माना जा रहा है कि मंत्रालय में समीक्षा के बाद प्रदेश स्तर पर अभियान चलाने के लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव निर्देश दे सकते हैं.
ग्वालियर कलेक्टर ने की शुरुआत जबलपुर कलेक्टर ने दर्ज करवाई FIR
पिछले दिनों ग्वालियर कलेक्टर ने निजी स्कूल संचालकों के खिलाफ फीस वृद्धि को लेकर कार्रवाई की थी. बाकायदा परिजनों को बढ़ाई गई फीस को स्कूल संचालकों की तरफ से लौटना पड़ा. इससे सबक लेते हुए जबलपुर कलेक्टर ने आपराधिक मामला निजी स्कूलों को के खिलाफ दर्ज कराया. इसके बाद स्कूल संचालकों ने सरकार की ओर से सख्ती को देखते हुए परिजनों को बढ़ाई हुई फीस का पैसा भी रिफंड कर दिया. माना जा रहा है कि दो बड़े जिलों के कलेक्टर की तरफ से लिए गए फैसले को देखते हुए भोपाल और इंदौर में भी अमल किया जाएगा. क्योंकि इन जिलों में भी पढ़ाई के नाम पर लाखों रुपए फीस के तौर पर वसूले जाते हैं. जिसमें स्विमिंग, सपोर्टस, कंप्यूटर तक की फीस परिजनों से वसूली जाती है.
बड़ा सवाल : क्या कर रहे हैं जिला शिक्षा अधिकारी
जिला स्तर पर सरकारी के साथ-साथ निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार स्कूल शिक्षा विभाग ने जिला शिक्षा अधिकारी को दिया है लेकिन इसके बाद भी मनमानी रवैया से निजी स्कूल संचालक छात्रों की भविष्य और परिजनों की मुश्किल बढ़ा रहे हैं. उनसे स्कूल संचालक लाखों रुपए फीस के तौर पर वसूल रहे हैं लेकिन कार्रवाई कलेक्टर को करना पड़ता है. ऐसे में जिला शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ भी कलेक्टरों को कार्रवाई करनी चाहिए. जिससे नीचे के सिस्टम को दुरुस्त किया जाए और शिक्षा के स्तर को बढ़ाया जा सके.