MP News: मध्य प्रदेश में मोहन सरकार के कैबिनेट में शामिल हुए रामनिवास रावत पिछले 5 दिन बीत चुके हैं. उन्हें अब तक विभाग नहीं मिला है. आखिर रामनिवास रावत को विभाग देने में देरी क्यों हो रही है. इसके पीछे की वजह है कि मुख्यमंत्री के पास कई बड़े विभाग हैं. कैबिनेट पोर्टफोलियो के हिसाब से रावत को उम्मीद है कि खनिज, गृह, जेल, सामान्य प्रशासन विभाग में से एक विभाग मिल सकता है. हालांकि यह सभी विभागों पर मुख्यमंत्री खुद ही निर्णय लेते हैं. ऐसे में बड़े विभागों की जिम्मेदारी रामनिवास रावत को कैसे दे दी जाए.
मुख्यमंत्री भी दिल्ली हाई कमान से केबिनेट पोर्टफोलियो तय करने को लेकर चर्चा करेंगे. शपथ के दौरान रामनिवास रावत ने पहले राज्य मंत्री की शपथ ली. बाद में मंत्री पद की शपथ दोबारा महज 15 मिनट के भीतर उन्हें दिलाई गई. सूत्रों का कहना है कि अगर रामनिवास रावत राज्य मंत्री बनते तो मुख्यमंत्री के पास कई राज्य मंत्री पोर्टफोलियो के विभाग हैं. जिन्हें मुख्यमंत्री तत्काल उन्हें आवंटित कर देते लेकिन कैबिनेट मंत्री बनने की वजह से बड़े विभाग मुख्यमंत्री को रावत को देने होंगे.
औद्योगिक नीति और प्रोत्साहन विभाग मिलने के आसार
भारी भरकम विभाग मुख्यमंत्री मोहन यादव ने खुद अपने पास रखा है. 6 महीने भी चुके हैं, किसी भी कैबिनेट के सदस्य को उन विभागों की जिम्मेदारी नहीं दी गई है लेकिन रावत के मंत्री बनने के बाद संभवत है. औद्योगिक नीति और प्रोत्साहन विभाग मुख्यमंत्री अपने हिस्से से दे सकते हैं. रावत भी कह चुके हैं कि वह अपने पिछले क्षेत्र में विकास करना चाहते हैं. ऐसे में बड़े विभागों की बजाय औद्योगिक नीति, प्रोत्साहन विभाग से रावत को संतोष करना पड़ सकता है.
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मुख्यमंत्री मोहन यादव के पास है यह बड़े विभाग
सामान्य प्रशासन विभाग ने गजट अधिूचना के अनुसार यादव ने सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी), जनसंपर्क, जेल, खनन, विमानन, औद्योगिक नीतियां और निवेश संवर्धन के अलावा वे सभी विभाग अपने पास रखे हैं. जो अबतक विशेष रूप से किसी मंत्री को नहीं सौंपे गए हैं. हालांकि विधानसभा में मुख्यमंत्री की तरफ से जवाब देने के लिए कई मंत्रियों को अधिकृत जरूर मोहन यादव ने किया था.