शरद गौतम-
MP News: सीधी जिले के रामपुर नैकिन थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम चकड़ौर में दूषित खाना खाने की वजह से दर्जन भर से अधिक लोग बीमार पड़ गए हैं वहीं एक बच्चे की मौत हो गई. सभी आदिवासी समाज से हैं एक प्रथा के अनुसार उनके यहां भात कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है बताया गया कि यह भोजन दूषित था जिसकी वजह से सभी को अचानक उल्टी एवं दस्त होने लगी गंभीर स्थिति होने की वजह से 12 से 15 की संख्या में लोग अपने निजी वाहन से अस्पताल गए तथा तीन अन्य मरीजों को 108 एंबुलेंस की मदद से जिला चिकित्सालय सीधी में भर्ती कराया गया है.
गांव में दहशत का माहौल
जैसे ही सभी को उल्टी दस्त की शिकायत होने लगी गांव में अफरा-तफरी का माहौल निर्मित हो गया. आनन-फानन में 108 एंबुलेंस को सूचना दी गई मामले की गंभीरता को समझते हुए 108 एम्बुलेंस सीधी के DM मनोज शुक्ला के द्वारा तुरंत ताला पॉइंट की गाड़ी में पदस्थ EMT मुकेश कुमार व पायलट सितेंद्र मिश्रा को घटनास्थल के लिए रवाना किया गया. मृतक बच्चे का नाम राघवेंद्र पिता रामजियावन सिंह है बच्चे की उम्र 8 साल है.
जिला अस्पताल में लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या
जब इस पूरे मामले में विस्तार न्यूज़ ने सीधी में जिला अस्पताल में सिविल सर्जन डॉक्टर एसपी खरे से पूछा तो उन्होंने बताया कि हैजा जैसी बीमारी जिले के हर गांव में पहुंच रही है. जहां जिला अस्पताल में लगातार मरीज का आवागमन बना हुआ है. वहीं जिला अस्पताल के डॉक्टर लगातार मरीजों की देखभाल कर रहे हैं लेकिन जिला अस्पताल में ना तो पर्याप्त मात्रा में बेड की संख्या है और ना ही कूलर और पंखे की व्यवस्था भी नहीं है. वहीं जमीन में लेट कर मरीजों की दवाई की जा रही है.
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उमस के कारण मरीज के परिजन हो रहे परेशान
बता दें कि, मरीज के साथ आने वाले परिजन भी इस भीषण गर्मी के कारण लगातार बीमार हो रहे हैं. ऐसे में जिला प्रशासन की नाकामी एवं स्थानीय नेताओं के इतना कानून दिखाई दे रही है. वहीं सूत्रों की माने तो अभी तक हैजा से तीन लोगों की मृत्यु हो चुकी है और सिविल सर्जन द्वारा बताया गया कि लगभग 200 से ज्यादा है जाकर मरीज आ चुके हैं जिन्हें लगातार देखा जा रहा है. जिनकी हालत ज्यादा बिगड़ी हुई है उन्हें एडमिट भी किया जा रहा है.
पूछताछ केंद्र में नहीं रहता कोई
मरीजों के परिजनों का आरोप है कि जिला अस्पताल में पूछ का पूछताछ केंद्र बनाए तो गए हैं लेकिन उनको बताने वाला कोई नहीं है भर्ती तो चार लोगों की है लेकिन उनके पास ना कोई रजिस्टर है ना ही मरीजों के नाम है ऐसे में मरीज के परिजन परेशान दिखाई देते हैं.