MP Government: सरकारी सिस्टम में बैठे भ्रष्टाचार अधिकारियों के खिलाफ सरकार ने एक्शन लेने का फैसला किया है. सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों को पत्र लिखते हुए अधिकारियों के खिलाफ चल रही डिपार्मेंटल इंक्वारी के बारे में जानकारी बुलाई है. सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने सभी विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रमुख सचिव और सचिव को पत्र लिखते हुए जानकारी मांगी है. GAD PS मनीष रस्तोगी ने कहा है कि मई महीने में रिटायर होने वाले अधिकारियों जिनके खिलाफ विभागीय जांच चल रही है, उनके खिलाफ क्या एक्शन अभी तक लिया गया है.
इसकी रिपोर्ट दी जाए जिससे कि 15 मई तक मुख्य सचिव के सामने विभागीय जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाएगा. इसके साथ रिटायर हो चुके अधिकारियों के खिलाफ लंबित विभाग की जांच शुरू की जाए और 31 मई तक सामान्य प्रशासन विभाग को जानकारी सभी विभागों को देना है.
मनीष रस्तोगी ने कहा है कि सरकारी विभाग के अधिकारियों के खिलाफ जांच में दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराया जाएगा. इसके लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित कमेटी फैसला करेगी. इसलिए अगस्त महीने तक रिटायर्ड हो चुके अधिकारियों की डिपार्मेंटल इंक्वारी कर सामान्य प्रशासन विभाग को जानकारी देना जरूरी है.
1 साल नहीं, बल्कि 5 महीने में पूरी करनी होगी जांच
विभागीय जांच को पूरा करने के लिए सरकार ने नियम में संशोधन भी किया है. इसके तहत सामान्य प्रशासन विभाग ने एक साल नहीं बल्कि 150 दिन यानी कि 5 महीने के अंदर जांच पूरी करने के लिए सभी विभागों को निर्देश दिए हैं. सामान्य प्रशासन विभाग में अधिकारियों को यह कहा है कि समय सीमा के अंदर भी जांच उच्च अधिकारी नहीं करते हैं. यही कारण है कि आसानी से अधिकतर रिटायर हो जाते हैं और उनके खिलाफ विभागीय जांच लंबित रह जाती है.
सरकार ने 2 महीने पहले बदली थी पॉलिसी
मोहन सरकार ने फरवरी महीने में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर पॉलिसी में बदलाव किया था. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने सरकारी पैसे की दुरुपयोग और घोटाले के मामले में शामिल अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए कमेटी गठित की थी. सरकार ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि दिसंबर 2024 तक रिटायर होने वाले अधिकारियों जिनके खिलाफ विभाग की जांच चल रही है. उनके मामले में रोजाना सुनवाई करते हुए जल्द से जल्द जांच पूरी की जाए. सरकार ने इसके पीछे की वजह बताई थी कि आधिकारी रिटायर हो जाते हैं और उनके खिलाफ विभागीय जांच लंबित रहती है, इसलिए जरूरी है कि रिटायरमेंट से पहले अधिकारियों के खिलाफ डिपार्मेंटल इंक्वारी पूरी की जाए.