MP News: डॉ. मोहन सरकार ने प्रदेश के कर्मचारियों के लिए शेयर बाजार में निवेश का रास्ता साफ कर दिया है. अब प्रदेश के साढ़े चार लाख एनपीएस धारक कर्मचारी शेयर मार्केट में निवेश के लिए फंड मैनेजर का चुनाव कर सकेंगे. राज्य शासन ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं. दरअसल प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम बंद हो चुकी है. इसके स्थान पर नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) का संचालन किया जा रहा है. एनपीएस 1 जनवरी 2005 के बाद नियुक्त कर्मचारियों को दी जा रही है.
एनपीएस धारक कर्मचारी प्रदेश भर में शिक्षकों समेत लगभग साढ़े चार लाख हैं. एनपीएस में दस फीसदी कर्मचारियों व 14 फीसदी अंशदान राज्य सरकार का होता है. एनपीएस स्कीम शेयर बाजार आधारित है, लेकिन एनपीएस स्कीम की राशि अभी तक सिर्फ अनिवार्य रूप से एसबीआई, यूटीआई व एलआईसी में बराबर-बराबर लगाई जाती थी. जिससे सेवानिवृत्ति के समय कर्मचारियों का फंड ज्यादा नहीं बढ़ रहा था. सालों से कर्मचारी फंड मैनेजर के चुनाव की मांग कर रहे थे. जिससे फंड मैनेजर का चुनाव कर इक्विटी शेयर व गवर्नमेंट सिक्युरिटी बांड में राशि लगा सकें. केंद्र सरकार ने भी वर्ष 2019 में एनपीएस कर्मचारियों के लिए फंड मैनेजर चुनाव करने की अनुमति दे दी थी. लेकिन मप्र में अभी तक सिर्फ एक ही फंड ( एसबीआई, यूटीआई व एलआईसी) में शामिल लगाई जा रही थी. अब सरकार ने एमपी के भी लगभग साढ़े चार लाख कर्मचारियों को फंड मैनेजर का चुनाव करने की अनुमति दे दी है. जिससे कर्मचारी फंड मैनेजर का चुनाव कर गवर्नमेंट सिक्योरिटी व इक्विटी शेयर में लगा सकते हैं. इन फंड में रिटर्न बहुत ज्यादा मिल रहा है.
वित्त विभाग ने यह जारी किए आदेश
वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि राज्य शासन के अंतर्गत सिविल सेवा के पदों पर एक जनवरी 2005 अथवा इसके उपरांत नियुक्त कर्मचारियों के लिए प्रभावशील परिभाषित अंशदायी पेंशन योजना (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली) के सदस्यों के लिए वित्त विभाग के परिपत्र 6 सितंबर 2008 द्वारा चुन सकेंगे. फंड मैनेजर एनपीएस कर्मचारियों के निवेश के लिए ये रहेंगे विकल्प वित्त विभाग के जारी आदेश में शासकीय अभिदाता उच्चतर प्रतिफल के लिए जीवनचक्र पर आधारित निम्न विकल्प रहेंगे. परंपरागत जीवनचक्र निधि (कंसरवेटिव लाइफ साइकिल), जिसमें इक्विटी में निवेश की अधिकतम सीमा 25 फीसदी (एलसी 25) निर्धारित है. सामान्य जीवन चक्र निधि (माडरेट लाइफ साइकिल), जिसमें इक्विटी में निवेश की अधिकतम सीमा 50 फीसदी (एलसी 50) निर्धारित है. शासकीय अभिदाता जो न्यूनतम जोखिम के साथ निर्धारित प्रतिफल के विकल्प का चयन करते हैं, को सरकारी प्रतिभूतियों में 100 फीसदी निवेश करने का विकल्प उपलब्ध रहेगा.
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केंद्र सरकार के आदेश का राज्य सरकार ने भी किया पालन
अभिदाताओं को वर्तमान प्रचलित (डिफाल्ट) निवेश पद्धति का विकल्प स्वतः उपलब्ध होगा. अभिदाताओं को विकल्प के उपयोग संबंधी प्रक्रिया के दिशा-निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे. पेंशन फंड मैनेजर नियुक्त करने एवं निवेश की प्रक्रिया निर्धारित की गई है. भारत सरकार द्वारा अधिसूचना दिनांक 31 जनवरी, 2019 के द्वारा केंद्र सरकार के राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली से संबंधित कार्मिकों के लिए पेंशन निधि और निवेश की प्रक्रिया के संबंध में अतिरिक्त विकल्प उपलब्ध कराते हुए, योजना को विस्तारित किया है. भारत सरकार की उक्त अधिसूचना को दृष्टिगत रखते हुए, राज्य शासन द्वारा राज्य के राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के कार्मिकों के लिए योजना को विस्तारित करते हुए, निवेश पद्धति एवं पेंशन फंड मैनेजर के चयन के लिए अतिरिक्त विकल्प उपयोग करने की सुविधा उपलब्ध कराये जाने के दृष्टिगत निर्णय लिए गए हैं. इसके तहत पेंशन फंड मैनेजर चयन का विकल्प राज्य के एनपीएस योजना के कार्मिकों को भी पीएफआरडीए द्वारा अधिकृत पेंशन फंड मैनेजरों में से किसी एक पेंशन फंड मैनेजर का चयन करने का अधिकार दिया है.
कर्मचारियों को होगा फायदा, सरकार के फैसले का स्वागत
अशोक पांडे, प्रदेश अध्यक्ष, मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच का कहना है कि राज्य सरकार का यह निर्णय एनपीएस धारक कर्मचारियों की जमा पूंजी को सुरक्षित करता है और जमा पूंजी को ज्यादा निवेश की सुविधा उपलब्ध कराता. कर्मचारियों को फंड मैनेजर नियुक्त करने विकल्प देकर सरकार ने एनपीएस धारक कर्मचारियों को मजबूती प्रदान की है और एक प्रबंधक के रूप में सुविधा दी है. ज्यादा संस्थानों में निवेश करके एनपीएस धारक कर्मचारी ज्यादा लाभ प्राप्त कर सकेगा. सरकार के इस निर्णय का लाभ प्रदेश की साढ़े पांच लाख एनपीएस धारक कर्मचारियों को होगा. सरकार को आदेश को तत्काल लागू करना चाहिए.