MP News: जीवनयापन के लिये घर में राशन जरूरी होता है. राशन से पोषण और इसी से मानव जीवन का अस्तित्व बना रहता है, यहाँ तक तो ठीक है, पर यही राशन किसी की पहचान बन जाये, तो यह अविश्वसनीय सा लगता है। पर ऐसा है.
नीमच जिले के फोफलिया गाँव की रहने वाली कृष्णा कीर की पहचान राशन से ही है. फोफलिया और आसपास के सभी गांवों के लोग कृष्णा को “राशन वाली लखपति दीदी” के नाम से जानते हैं, पहचानते हैं. कृष्णा की यह पहचान ऐसे ही नहीं बनी. एक साधारण गृहणी से राशन वाली लखपति दीदी बनने तक कृष्णा ने लंबा सफर तय किया. सबसे पहले वे गाँव के “जय भवानी आजीविका स्व-सहायता समूह” से जुड़ीं.
इस समूह के जरिये कृष्णा को शासकीय उचित मूल्य दुकान का संचालन करने का दायित्व मिला. कृष्णा ने इस मौके को हाथों-हाथ लिया. अपनी योग्यता और हुनर से कुशलतापूर्वक सरकारी राशन दुकान चलाकर कृष्णा रोजाना 700 रुपए अर्जित कर रही हैं. इस समूह से जुड़कर कृष्णा ने अब खुद की किराना दुकान भी शुरू कर दी है. इस किराना दुकान से कृष्णा साल में ढाई लाख रुपये से अधिक आय अर्जन कर रही हैं. इसी कारण वे राशन वाली लखपति दीदी के नाम से फेमस हो गयीं.
स्व-सहायता समूह से जुड़ने के बाद कृष्णा की जिन्दगी में आये कुछ बड़े बदलावों की बानगी देखिये. पहले घर चलाने की परेशानी थी, अब कृष्णा ने गाँव में ही खुद का पक्का घर बना लिया है. जमीन भी खरीद ली. बढ़ते काम के चलते यहां-वहां आने जाने के लिये दो पहिया वाहन भी खरीद लिया है. अब कृष्णा के बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ रहे हैं. उसके परिवार का रहन-सहन का स्तर भी सुधर गया है. कृष्णा गाँव की दूसरी महिलाओं के लिये मेहनत और सरकार की मदद से आगे बढ़ने की प्रेरणा का एक जीवन्त उदाहरण बन गई हैं.