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MP News: भोपाल के टाइगर के लिए एनजीटी का फैसला, चंदनपुरा में पर्यावरण नियमों के उल्लंघन की जांच करेगी पांच अफसरों की कमेटी, छह हफ्ते में देनी होगी रिपोर्ट

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प्रतीकात्मक चित्र

MP News: भोपाल के चंदनपुरा संरक्षित वन क्षेत्र में पर्यावरण नियमों के कथित उल्लंघन की जांच पांच अफसरों की टीम करेगी. वहां सुधार के लिए उठाए जाने वाले कदम सुझाने के साथ नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी करेगी साथ ही संबंधित अधिकारियों को अवैध निर्माण या गतिविधियां रोकने के लिए जरूरी निर्देश देगी. एनजीटी की सेंट्रल बेंच ने इसकी रिपोर्ट देने के लिए कमेटी को छह हफ्ते का समय दिया है. ट्रिब्यूनल ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, पर्यावरण सचिव, केंद्रीय व मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधियों की कमेटी बनाई है. मामले की अगली सुनवाई तीन सितंबर को होगी. याचिकाकर्ता ने कहा, सेफ्टी वॉल्व और टाइगर हेबीटेट खतरे में एनजीटी की सेंट्रल बेंच में लगाई याचिका में राशिद नूर खान ने कहा कि केरवा और कलियासोत बांध के बीच स्थित चंदनपुरा वन क्षेत्र पारिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखने में सेफ्टी वॉल्व की तरह काम करता है. यह बाघों का प्राकृतिक घर और प्रजनन क्षेत्र भी है. इस वजह से इसे संरक्षित वन घोषित किया गया है.

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सरकार चंदनपुरा के साथ ही इसके आसपास के क्षेत्रों के संरक्षण के लिए बाध्य है. दरअसल, बाघ मूवमेंट इलाके में अधिकांश हिस्से में निजी स्कूल, कालेज और सरकारी विभागों के भवन भी बने चुके हैं. इस मामले में कई बार कोर्ट की ओर से भी आदेश जारी हुए लेकिन वन विभाग अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नहीं की गई है.

टाइगर की ब्रीफिंग पर संकट, इलाके में बढ़ा अतिक्रमण

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि यहां मानवीय दखल लगातार बढ़ रहा है. अतिक्रमण करने के साथ वन को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. ऐसे में बाघों पर इस क्षेत्र से जबरदस्ती बाहर किए जाने का संकट मंडरा रहा है. वेस्टर्न भोपाल बायपास प्रोजेक्ट से इस क्षेत्र का टाइगर कॉरीडोर खतरे में पड़ जाएगा. टुकड़ों में बंट जाएगा. प्रजनन क्षेत्र तक बाघों का पहुंचना मुश्किल हो जाएगा. पेड़ों का काट कर सड़कों के साथ ही अन्य निर्माण किए जा रहे हैं. यह भी आरोप लगाया कि चंदनपुरा को नगर वन घोषित कर इसकी पहचान बदलने की कोशिश की जा रही है. इसे पर्यावरण से जुड़ा गंभीर मुद्दा मानते हुए ट्रिब्यूनल ने पांच सदस्यीय कमेटी बनाई है.

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