MP News: मध्य प्रदेश में पिछले साल हुए पटवारी परीक्षा घोटाले को क्लीन चिट मिल गई है. आठ महीने के जांच के बाद सामने आया है कि इन परीक्षाओं में कोई घोटाला नहीं हुआ है. जस्टिस राजेंद्र वर्मा ने लंबे इंतजार के बाद अपनी रिपोर्ट मुख्य सचिव वीणा राणा को सौंप दी है. जिसमें जांच आयोग ने कहा है कि भर्ती प्रक्रिया पर संदेह करना गलत है. अब सरकार इस पर भर्ती का फैसला कर सकती है. दरअसल 30 जून को इस परीक्षा का रिजल्ट आया था. जिसमें 8617 पदों के लिए मेरिट लिस्ट भी जारी हुई थी. मगर एक ही सेंटर से 10 में से 7 टॉपर्स के नाम के आने के बाद इस परीक्षा में घोटाले की आशंका जताई गई थी. जिसके बाद चयनित उम्मीदवारों की भर्ती को रोक दिया गया था.
क्या हुई थी धांधली?
मध्य प्रदेश में हुई पटवारी परीक्षा में प्रदेश भर में कुल 78 सेंटर बनाए गए थे. लेकिन जब रिजल्ट आया तो ग्वालियर के एक ही सेंटर से 114 लोग सिलेक्ट हो गए. हालांकि जांच रिपोर्ट में इस सेंटर का जिक्र जरूर किया गया है. जिसमें इस सेंटर से चयनित हुए लोगों का आखिरी फैसला सरकार के हाथों में सौंप दिया गया है, जबकि बाकी सेंटर के सभी घोटालों को क्लीन चिट दे दी गई है.
8 महीने की जांच के प्रोसेस को जानिए-
जस्टिस वर्मा ने ग्वालियर के NRI कॉलेज के अलावा दूसरे परीक्षा सेंटर की गड़बड़ी की जांच की थी. जिसमें परीक्षा में इस्तेमाल होने वाले सिस्टम में कोई गड़बड़ी नजर नहीं आई है. इन परीक्षा को लेकर नवंबर 2022 में कर्मचारी चयन आयोग ने नोटिफिकेशन जारी किया था. जिसमें 15 मार्च से 26 अप्रैल तक 78 परीक्षा सेंटर पर परीक्षाएं हुई थी.
जिसके बाद 13 जुलाई 2023 को पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने एक जांच आयोग का गठन किया था. जिसके तरह जस्टिस राजेंद्र वर्मा की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग को 31 अगस्त तक जांच करनी थी. लेकिन इसके बाद जांच आयोग का कार्यकाल पहले 31 अक्टूबर और बाद में 15 दिसंबर तक बढ़ गया. इसके बाद नई सरकार में कार्यकाल 31 जनवरी तक बढ़ा दी.
मोहन यादव ने किया ऐलान-
आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए उस वक्त जांच आयोग का गठन कर दिया गया था, ताकि चुनाव पर इसका असर ना आए. लेकिन अब लोकसभा सामने ऐसे में बीजेपी सरकार जल्दी ही पटवारी भर्ती को प्रक्रिया को पूरा करना चाहेगी. ऐसे में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 26 जनवरी को 28 हजार भर्तियों का ऐलान भी किया था .