Nursing Collage Scam: एमपी में सीबीआई की जांच के बाद 66 नर्सिंग कॉलेज अयोग्य पाए गए. इन कॉलेजों की प्रशासन ने भी जांच कराई थी. ऐसे में जिन कॉलेजों को सीबीआई ने अयोग्य माना, उन जिलों के राजस्व अधिकारियों को भोपाल से नोटिस जारी कर दिया गया. रीवा के नायब तहसीलदार को भी नोटिस जारी किया गया था, इसी नोटिस ने पूरे सिस्टम की पोल खोल दी. भोपाल में बैठे अधिकारियों ने अपनी गर्दन बचाने के चक्कर में राजस्व अधिकारी को ही निशाना बनाया. जबकि रीवा में नर्सिंग कॉलेज की जांच के बाद राजस्व अधिकारी ने क्लीन चिट नहीं दी थी. नायब तहसीलदार के जवाब और दस्तावेजों ने भोपाल में बैठे अधिकारियों की अंधेरगर्दी भी उजागर कर दी है. अपनी गर्दन बचाने के चक्कर में राजस्व अधिकारी को ही बली का बकरा बना दिया.
नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा
कुछ समय पहले हाईकोर्ट ने मप्र में संचालित नर्सिंग कॉलेजों की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को दी थी. सीबीआई ने सभी कॉलेजों की जांच कर रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत किया था. इसमें 66 कॉलेजों को अयोग्य बताया गया था. इसके बाद सीबीआई के कई अफसर घूसखोरी में भी फंस गए थे. कोर्ट में 66 कॉलेजों के अयोग्य करार दिए जाने के बाद प्रशासन ने उन अधिकारियों पर भी एक्शन लेना शुरू किया. जिन्होंने वर्ष 2022 में कॉलेजों की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. मप्र के कई जिलों के राजस्व अधिकारियों के साथ ही रीवा के नायब तहसीलदार यतीश शुक्ला को भी नोटिस जारी किया गया. नोटिस जारी होने के बाद नायब तहसीलदार ने प्रमुख सचिव मप्र शासन राजस्व विभाग के सामने अपना पक्ष रखा. साथ ही जांच के दौरान रिपोर्ट में क्या क्या बात कहीं गई थी. वह चीजें भी प्रस्तुत कर दी. उनके अभ्यावेदन के बाद अब पूरा मामला ही यूटर्न ले लिया.
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किराए के भवन में चलता था कॉलेज
जानकारी के अनुसर वर्ष 2022-23 में गठित दलों में रीवा जिला स्थित स्वास्तिक नर्सिंग कॉलेज का निरीक्षण करने के लिए गठित दल में उन्हें स्थानीय राजस्व अधिकारी के रूप में सम्मलित किया गया था. इस दल में राजस्व अधिकारी, 1 डॉक्टर और 1 नर्सिंग आफीसर शामिल थे. पूर्व में मान्यता प्राप्त स्वास्तिक कॉलेज रीवा का भौतिक निरीक्षण जांच दल ने किया था. तत्समा वार्ड नंबर 15 शारदापुरम समान रीवा में एक किराए की बिल्डिंग में कॉलेज संचालित था. इसका जिक्र जांच प्रपत्र में किया गया था. जांच रिपोर्ट में संयुक्त दल ने कॉलेज को डिफिसिएंट रिमार्क दिया था. इसके बाद भी मान्यता जारी हुई. सीबीआई की जांच में कॉलेज अयोग्य पाया गया. जबकि राजस्व अधिकारी को सिर्फ भूमि भवन के दस्तावेजों का अवलोकन करना था. शेष मान्यता से जुड़ी हुई जानकारियां टीम के अन्य सदस्यों को देखनी थी.
दरअसल गड़बड़ी रीवा स्तर से नहीं की गई थी. राजस्व अधिकारी ने कॉलेज की जांच के बाद रिपोर्ट में डिफिसियंट ही बताया था. भोपाल स्तर से मान्यता जारी करने में गड़बड़ी की गई जब पोल खुली तो पूरा ठीकरा राजस्व अधिकारी के सिर पर फोड़ने की योजना बना डाली गई. नायब तहसीलदार को नोटिस थमा दिया गया.