MP News: आजाद हिंदुस्तान की आन बान शान कहीं जाने वाला तिरंगा जब लहराता है तो हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है, लेकिन ग्वालियर वासी हमेशा अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं इसका कारण यह है कि उत्तर भारत में ग्वालियर एकमात्र जगह यहां हमारे राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण होता है. यहां तैयार होने वाले हमारे राष्ट्रीय ध्वज देश के कोने कोने तक जाते हैं और संसद, लाल किला दूतावास जैसी इमारत पर लहराते हैं और सबसे खास बात यह है कि देश की ऐसी पहली संस्था भी है जहां 90 फ़ीसदी महिलाएं हमारी राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करती है. हमारी राष्ट्रीय ध्वज कैसे तैयार की जाते हैं.
मध्य भारत खादी संघ है ग्वालियर में
ग्वालियर में हमारे राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करने वाली संस्था मध्य भारत खादी संघ है यह उत्तर भारत की पहली संस्था है जहां पिछले कई सालों से हमारे राष्ट्रीय ध्वज तैयार किए जा रहे हैं. यहाँ पर स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और संविधान दिवस पर संस्था में तैयार हो रहे राष्ट्रीय ध्वज देश के अलग-अलग कोनों में पहुंचते हैं. देश के हर राज्य में ग्वालियर की मध्य भारत खादी संघ में तैयार होने वाला राष्ट्रीय ध्वज पहुंचता है और यहां के बने तिरंगे सरकारी गैर सरकारी इमारत पर शान से लहराए जाते हैं. पूरे देश भर में हमारे राष्ट्रीय ध्वज तीन जगह तैयार होते हैं जिसमें कर्नाटक की हुबली, दूसरी जगह मुंबई और उत्तर भारत में सिर्फ ग्वालियर में तैयार होते हैं.
90 फ़ीसदी महिला कर्मचारी करती है राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण
सबसे खास बात यह है कि देश की यह इकलौती ऐसी संस्था है जहां पर 90 फ़ीसदी महिला कर्मचारी हमारे राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण कर रही है. यहां पर कपड़ा काटने से लेकर उनको तैयार और उनकी टेस्टिंग करना महिलाओं के ऊपर जिम्मेदारी है और वह कई सालों से वह बखूबी तरीके से निभा रही है. उनका कहना है कि काम के साथ-साथ राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करना हम सबके लिए एक गर्व की बात है और हमें इसे बनाने में काफी गर्व महसूस होता है. देश के कोने में जहां तिरंगा फहराया जाता है. इस दौरान हम महसूस करते हैं कि यह शायद हमारे हाथों से बना ही तिरंगा है और यहां पर महिलाएं लगभग 90 फ़ीसदी है जो इस काम को निभा रही है.
ये भी पढ़ें: भारत-बांग्लादेश के बीच पहला टी20 मैच ग्वालियर में, महाआर्यमन बोले- मेरे दादाजी का सपना पूरा होने जा रहा है
1956 में मध्य भारत खड़ी संघ को मिला आयोग का दर्जा
मध्य भारत खादी संघ मंत्री रमाकांत शर्मा ने बताया है कि केंद्र की स्थापना सन 1925 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी साल 1956 में मध्य भारत खड़ी संघ को आयोग का दर्जा मिला. इस संस्था से मध्य भारत की कई प्रमुख राजनीतिक हस्तियां भी जुड़ी है. इसके बाद सन 2016 में इस संस्था को प्रमाणित राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करने की मान्यता प्राप्त हुई. उनका मानना है कि किसी भी खड़ी संघ के लिए तिरंगे को तैयार करना बड़ी मुश्किल का काम होता है. उन्होंने बताया है कि इस बार मध्य भारत खादी संघ लगभग सवा करोड रुपए के 23000 राष्ट्रीय ध्वज बिक्री कर चुका है. उन्होंने बताया है कि ग्वालियर से बना राष्ट्रीय ध्वज देश के 16 राज्यों में जाता है जहां मध्य प्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, असम, कर्नाटक, जम्मू कश्मीर सहित अलग-अलग राज्यों में फहराया जाता है.
20 टेस्टिंग से होकर गुजरते है तिरंगे
मध्य भारत खादी संघ में अलग-अलग प्रकार के राष्ट्रीय ध्वज तैयार किए जाते हैं विशेषकर यहाँ 2 वाई 3 तीन, 3 वाई 4.50 और 4 वाई 6 के राष्ट्रीय ध्वज तैयार होते हैं. राष्ट्रीय ध्वज को तैयार करने के लिए लैब में लगभग 20 टेस्टिंग से होकर गुजरना पड़ता है और तय मानकों का विशेष ख्याल रखा जाता है जिसमें कपड़े की क्वालिटी, चक्र का साइज, रंग जैसे मानक शामिल है।किसी भी आकार के तिरंगे को तैयार करने में उनकी टीम को 5 से 6 दिन का समय लगता है लैब में ट्रेकिंग के बाद हमारा राष्ट्रीय ध्वज पूरी तरह तैयार होकर बाहर निकलता है.