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कुकरू: बैतूल के पचमढ़ी में है प्रदेश का एकमात्र कॉफी बागान, ‘Hidden Jewel of MP’ के नाम से है फेमस

Kukru is a hill station situated on the Satpura mountains.

कुकरू सतपुड़ा के पहाड़ पर स्थित एक हिल स्टेशन है.

Hidden Jewel of MP: एमपी टूरिज्म की टैग लाइन है ‘एमपी अजब है, एमपी गजब है’. इस टैग की तरह ही एमपी सच में सबसे अलग है. भारत के इस सबसे बड़े पठारी राज्य में समुद्र का किनारा, रेगिस्तान और बर्फ से ढंके पहाड़ छोड़कर सबकुछ है. इस राज्य के बीचोंबीच से दो पहाड़ होकर गुजरते हैं इनमें एक विंध्याचल और दूसरा सतपुड़ा है. दोनों पहाड़ अपनी खूबसूरती लिए हुए हैं. दूर-दूर तक फैली पहाड़ियां, इन पर पसरा घना हरा जंगल और इन्हीं के बीच से गुजरती नदियां. सब कुछ मानो किसी फिल्मी सीन की तरह लगता है लेकिन ये सच है.

सतपुड़ा जिसे सात अलग-अलग पहाड़ियों का पर्वत कहा जाता है. अपनी नेचुरल ब्यूटी के जाना जाता है. ये पहाड़ घने जंगल और कई नदियों का घर है. पचमढ़ी जैसे वर्ल्ड फेमस हिल स्टेशन का घर भी है. सतपुड़ा के इन पहाड़ों पर एक और फेमस हिल स्टेशन है जिसका नाम ‘कुकरू’ है.

कुकरू: बैतूल का पचमढ़ी

कुकरू सतपुड़ा के पहाड़ पर स्थित एक हिल स्टेशन है. बैतूल से 92 किमी दूर महाराष्ट्र बॉर्डर पर स्थित ये अपने लाजवाब मौसम और खूबसूरती के लिए जाना जाता है. कुकरू सी लेवल से 1137 मीटर ऊपर सतपुड़ा की पहाड़ियों पर स्थित है. घना जंगल, दूर तक फैली पहाड़ियों, झरने और ठंडे मौसम के कारण इसे बैतूल का पचमढ़ी कहा जाता है.

एमपी की एकमात्र जगह जहां कॉफी की खेती होती है

कुकरू में कॉफी का बागान है. एमपी की एकमात्र जगह है जहां कॉफी उगाई जाती है. यहां का मौसम कॉफी की फसल के लिए मुफीद है. कॉफी की खेती के लिए ढ़लान वाली धरती, अच्छी बारिश और ठंडा मौसम होना चाहिए. कुकरू में कॉफी बागान की स्थापना साल 1944 में ब्रिटिश महिला फ्लोरेंस हेंड्रिक्स ने 44 हेक्टेयर क्षेत्र में की थी. उस समय यहां बड़ी मात्रा में कॉफी का प्रोडक्शन किया जाता था. कॉफी को ब्रिटेन भेजा जाता था.

आज कॉफी का ये बागान मात्र 4 हेक्टेयर में सिमटकर रह गया है. एमपी के वन विभाग के अधिकार में आने वाले इस बागान से सालाना 10 क्विंटल कॉफी का उत्पादन होता है. कुकरू की कॉफी की महक और क्वालिटी वर्ल्ड लेवल की है. कुकरू की कॉफी बीन्स भारत की सबसे उम्दा बीन्स में से एक है.

परफेक्ट सनसेट के लिए ‘कुकरू’ है बेस्ट प्लेस

किसी हिल स्टेशन की सबसे बड़ी खासियत वहां सनसेट देखना होता है. कुकरू में शानदार सनराइज और सनसेट का आनंद लिया जा सकता है. सुबह पहाड़ियों के बीच से उगता लाल रंग का सूरज उतना ही शानदार लगता है जितना कि पहाड़ियों के बीच छिपता सूरज. सनराइज के पहले और सनसेट के बाद इस जगह की वाइव देखने लायक होती है. लाल रंग का आसमान और शांत पहाड़ियों के बीच पक्षियों की चहचहाहट इसे और शानदार बना देती है. कुकरू का सनसेट देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं.

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कुकरू तक पहुंचने का रास्ता है बेमिसाल

बैतूल जिले से कुकरू 92 किमी दूर स्थित है जो भैंसदेही होकर जाया जाता है. कुकरू तक का रास्ता घने जंगलों से होकर गुजरता है जो आगे जाकर टेढ़ा-मेढ़ा बन जाता है. जैसे-जैसे रास्ता पहाड़ के शिखर तक जाता है वैसे-वैसे रास्ता और ज्यादा घुमावदार होता जाता है. रास्ते के दोनों तरफ घना जंगल देखने को मिलता है.

बारिश के मौसम में ये रास्ता हरा-भरा होने के साथ-साथ खूबसूरत बन जाता है. पहाड़ों पर जहां तक नजर जाती है वहां तक घास की हरी चादर दिखाई देती है. इस हरी घास के मैदान के बीच-बीच में खिले रंग-बिरंगे फूल इस खूबसूरती को चार चांद लगा देते हैं.

कोरकू जनजाति का घर है ‘कुकरू’

इस हिल स्टेशन की ज्यादातर आबादी कोरकू जनजाति से आती है. कुकरू एक छोटा सा गांव है. एक सड़क के दोनों ओर ज्यादातर घर बने हुए हैं. यहां आप कोरकू जनजाति के रहन-सहन, खान-पान को करीब से जान सकते है. यहां एमपी टूरिज्म ने इको टूरिज्म की शुरुआत की है जिसमें कैंपिंग, ट्रैकिंग, साइट सीइंग के अलावा इस शानदार ट्राइब के बारे में जान सकते हैं.

बारिश से सर्दियों तक बदलता ‘कुकरू’

बारिश के मौसम में कुकरू घास की हरी चादर से ढंक जाता है. पहाड़ियों पर बादल इतने नीचे आ जाते हैं कि आप इन्हें आसानी से छू सकते हैं. दूर से देखने पर ये बादल रूई के ढेर की तरह दिखाई देते हैं. गर्मी में सूरज की गर्मी में झुलसे पेड़ नई पत्तियों से सज जाते हैं.

सर्दियों के मौसम में कुकरू का अलग ही रंग देखने को मिलता है. सुबह कोहरे में लिपटी कुकरू की पहाड़ियां, घास पर ओंस की बूंद और अलसाया सा सूरज सब कुछ पर्यटकों को अपने ओर खींचता है. सर्दियां इस हिल स्टेशन को और जानदार-शानदार बना देती है.

खामला में पवन चक्की देख सकते हैं

कुकरू के पास खामला में विंड मिल्स लगाई गई हैं. इन विंड मिल्स से बिजली पैदा की जाती है. खामला में तेज हवा चलती है जिससे यहां पवन चक्कियां लगाई गई हैं. इन विंड मिल्स को देखने लोग दूर-दूर से आते हैं. कुकरू के पास ये लगाई गई ये विंड मिल्स टूरिस्ट के लिए आकर्षण का केंद्र है. इसी कारण कुकरू और खामला का नाम साथ में कुकरू खामला लिया जाता है. कुकरू की इन ढेर सारी खूबियों के कारण इस प्यारे हिल स्टेशन को ‘हिडन ज्वेल ऑफ एमपी’ कहा जाता है.

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